पटना. बिहार में हो रही जातीय गणना पर रोक की मांग वाली याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि आप पटना हाईकोर्ट जा सकते हैं. न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति टी एस नरसिम्हा की पीठ में आज इस मामले में सुनवाई हुई. बिहार में 7 जनवरी से जातीय गणना शुरू हुई है. 15 अप्रैल से इसके दूसरे चरण की शुरुआत हो चुकी है. इसके खिलाफ 21 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर तत्काल सुनवाई की मांग की गई थी. उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 28 अप्रैल यानी आज की तारीख दी थी.
इससे पहले भी बीते 20 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में जाति आधारित जनगणना को लेकर अपील हो चुकी है, जिसमें याचिका में यह कहा गया था कि आरक्षण को लेकर यह जनगणना करायी जा रही है. उस याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था और कहा था कि आरक्षण के मसले पर सुप्रीम कोर्ट कोई हस्तक्षेप नहीं करेगी. बिहार में फिलहाल जातीय गणना कराने का काम जारी है. 15 मई तक इसे पूरा करने के बाद इस पर रिपोर्ट तैयार की जाएगी. अगर कोर्ट इस पर रोक लगाती है, तो जातिगत जनगणना के आंकड़ों को सार्वजनिक नहीं किया जाएगा.
इधर, बिहार में जाति आधारित जनगणना के खिलाफ पटना हाईकोर्ट में एक साथ तीन जनहित याचिकाएं दायर की गई थी. याचिका में जाति आधारित जनगणना को रद्द करने की मांग की गई है. 18 अप्रैल को हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख 4 मई को दिया है. याचिकाकर्ता का कहना है कि जाति आधारित जनगणना समाज में भेदभाव उत्पन्न कर सकता है. जिसकी वजह से समाज में तनाव बढ़ने की आशंका है. सुप्रीम कोर्ट के बाद 4 मई को पटना हाईकोर्ट में भी इस पर हियरिंग होनी है. याचिका में कहा गया है कि जनगणना कराना केंद्र सरकार का अधिकार क्षेत्र है, इसलिए बिहार सरकार का ये फैसला असंवैधानिक है.