पटना. निगरानी ब्यूरो ने एससी-एसटी छात्रवृत्ति घोटाले के मुख्य अभियुक्त रिटायर्ड आइएएस अधिकारी एसएम राजू से गहन पूछताछ की. राजू को इसके लिए समन जारी करके कर्नाटक से खासतौर से बुलाया गया था. सुबह साढ़े 11 बजे से शुरू हुई यह पूछताछ शाम करीब चार बजे तक चली.
इस दौरान उनसे घोटाले से जुड़े दर्जनों सवाल पूछे गये, लेकिन किसी का उन्होंने संतोषजनक जवाब नहीं दिया. हर सवाल का जवाब घूमा-फिरा कर देते रहे. अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को खारिज करते हुए उन्होंने गलत तरीके से निकाली गयी छात्रवृत्ति की राशि के लिए अपने नीचे के पदाधिकारियों को दोषी ठहराया.
उन्होंने हर बार बचते और बेहद कम शब्दों में ही जवाब दिया. लेकिन, गलत चीजों पर उनके हस्ताक्षर करने की बात पूछी गयी, तो वह कई बार निरुत्तर हो गये. वह निगरानी ब्यूरो को यह बताने में पूरी तरह से अक्षम रहे कि उन्होंने गलत चेकों या फर्जी छात्रों के नाम पर निकाली गयी छात्रवृत्ति की राशि कैसे निकली.
एसएम राजू के अलावा इस मामले में पूर्व मिशन निदेशक रामाशीष पासवान और राघवेंद्र झा से भी पूछताछ की गयी. इन दोनों से बुधवार को भी पूछताछ की गयी है. इन दोनों पदाधिकारियों से भी अवैध निकासी के बारे में सवाल पूछे गये.
उन्होंने बताया कि जैसा उन्हें आदेश मिला, वैसा ही उनका पालन किया. इनका साफतौर पर इशारा तत्कालीन सचिव एमएम राजू की तरफ ही था. इन दोनों पदाधिकारियों के आरोपों का जवाब एसएम राजू नहीं दे पाये. निगरानी ब्यूरो ने सभी अधिकारियों से पूछताछ के बाद आगे की जांच प्रक्रिया शुरू कर दी है.
निगरानी ब्यूरो ने 2012 से 2016 के बीच एससी-एसटी वर्ग के छात्रों की छात्रवृत्ति में हुई अवैध निकासी का मामला दर्ज किया है. इसमें करीब पौने आठ करोड़ रुपये की फर्जी निकासी हुई थी. छात्रों के गलत नाम, पता और खाता पर करोड़ों रुपये की निकासी की गयी है.
Posted by Ashish Jha