बिहार के स्कूलों में हर हाल में 200-220 दिन चलेंगी कक्षाएं, घोषित-आकस्मिक छुट्टियों पर हो सकता है पुनर्विचार

बिहार के सरकारी स्कूलों में राइट टू एजुकेशन के तहत 200 से लेकर 220 दिनों की कक्षाएं शिक्षा विभाग लगाएगा. अगर जरूरत होगी तो विभाग इसके लिए घोषित या आकस्मिक अवकाशों पर पुनर्विचार कर इसे रद्द भी कर सकता है.

By Anand Shekhar | September 5, 2023 8:54 PM

बिहार के सरकारी स्कूलों में छुट्टी को लेकर छिड़े विवाद के बीच अब शिक्षा विभाग ने बड़ा फैसला लिया है. विभाग के मुताबिक अब राज्य के प्रारंभिक (कक्षा एक से आठ वीं तक ) सरकारी स्कूलों में वर्तमान अकादमिक सत्र में राइट टू एजुकेशन के तहत 200 से लेकर 220 दिन की पढ़ाई करायी जायेगी. वर्तमान स्थिति है कि घोषित और अघोषित वजहों से पढ़ाई नहीं हो पा रही है. स्कूल बंद रहते हैं. आधिकारिक जानकारी के मुताबिक राइट टू एजुकेशन के हिसाब से क्लास चलाने के लिए अगर आवश्यकता होगी तो घोषित या आकस्मिक अवकाशों पर पुनर्विचार किया जायेगा.

राइट टू एजुकेशन के तहत कम से कम 200 से 220 दिनों की पढ़ाई का प्रावधान

शिक्षा विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार राइट टू एजुकेशन के तहत स्कूलों में कम से कम 200 से 220 दिनों की पढ़ाई कराने का प्रावधान किया गया है. विभाग की ओर से बताया गया है कि पहले स्कूलों का निरीक्षण नहीं होता था. लेकिन आज की तारीख में प्रतिदिन लगभग 40,000 स्कूलों का निरीक्षण किया जा रहा है. इस कारण अब स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि स्कूल कितने दिन खुले और कितने दिन बंद हैं. वहीं इससे पहले निरीक्षण की ऐसी कोई व्यवस्था नहीं होने की वजह से जिला शिक्षा अधिकारी घोषित एवं आकस्मिक छुट्टियों के आधार पर ही विद्यालय में पढ़ाई के कुल दिनों की गणना करते थे.

अघोषित अवकाश शिक्षा विभाग की मुख्य समस्या

शिक्षा विभाग के अनुसार राज्य के स्कूलों में एक जुलाई से प्रतिदिन निरीक्षण की व्यवस्था शुरू की गई है. जिसमें यह बात सामने आई की कई बार स्थानीय कारणों की वजह से स्कूलों में छुट्टियां रद्द की गई है. जिसकी जानकारी कई बार तो जिला शिक्षा पदाधिकारी को भी नहीं हो पाती थी. लेकिन अब निरीक्षण की व्यवस्था शुरू होने के बाद स्कूलों में अघोषित या आकस्मिक अवकाश की सूचना भी मुख्यालय तक पहुंचती है. ऐसे में शिक्षा विभाग की मुख्य समस्या घोषित नहीं बल्कि अघोषित अवकाश है.

इन छह जिलों में पढ़ाई वाले संभावित दिन

आधिकारिक जानकारी के मुताबिक शिक्षा विभाग ने राज्य के छह जिले पटना, मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, भागलपुर, अररिया और लखीसराय में वर्तमान शैक्षणिक सत्र 2023-24 में अब तक पढ़ाई वाले दिन और सत्र के शेष समय में पढ़ाई वाले संभावित दिनों का आकलन किया है. आकलन के मुताबिक पूरे अकादमिक सत्र 2023-24 में पटना में 198, मुजफ्फरपुर में 195, पूर्वी चंपारण में 202, भागलपुर में 205, अररिया और लखीसराय में 206 दिन की पढ़ाई संभव है.

पैटर्न के हिसाब से कोल्डवेव की वजह से हुई इतनी छुट्टियां

वहीं पिछले सालों के पैटर्न के हिसाब से कोल्डवेव से पटना में 13, मुजफ्फरपुर में 14, पूर्वी चंपारण में 16, भागलपुर में 15, अररिया में 13 और लखीसराय में 16 दिन छुट्टियां करनी पड़ती हैं. अगर इन दिनों को कुल संभावित पढ़ाई वाले दिनों में से घटा दें तो पटना में पूरे अकादमिक सत्र में 185, मुजफ्फरपुर में 181, पूर्वी चंपारण में 186, भागलपुर में 190, अररिया में 193 और लखीसराय में 190 दिन ही कक्षाएं लग सकेंगी.

विभाग ने पढ़ाई वाले दिनों की संभावित संख्या जारी की…

  • एक अप्रैल 2023 से 31 अगस्त तक – इस समयावधि के दौरान पटना में 100 दिन, मुजफ्फरपुर में 90, पूर्वी चंपारण में 99, भागलपुर में 97, अररिया में 100 और लखीसराय में 103 दिन कक्षाएं लगी हैं.

  • एक सितंबर से 31 दिसंबर तक संभावित कक्षाओं के दिन – पटना में 73, मुजफ्फरपुर में 80, पूर्वी चंपारण में 78, भागलपुर में 83, अररिया में 81 और लखीसराय में 78 दिन पढ़ाई होने की संभावना है.

  • एक जनवरी 2024 से 31 जनवरी – इस समयावधि में पटना, मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, भागलपुर, अररिया और लखीसराय में 25-25 दिन कक्षाएं लगने की संभावना है.

31 जनवरी तक ही चलेगा अकादमिक सत्र 2023-24

शिक्षा विभाग ने साफ किया है कि कहने को अकादमिक सत्र 2023-24, 31 मार्च 2024 तक रहेगा. लेकिन वास्तविकता यह है कि सत्र 31 जनवरी तक ही चलेगा. शेष समयावधि में परीक्षा आदि की वजह से कक्षा एक से आठवीं तक की पढ़ाई बाधित रहती है. स्कूली शिक्षा की मुख्य समस्या घोषित नहीं अघोषित अवकाश हैं, जिनकी वजह से स्कूल बंद रहते हैं.

Also Read: बिहार के शिक्षकों के लिए खुशखबरी! बिना परीक्षा के बनेंगे प्रिंसिपल, विभाग ने रिक्त पदों को भरने का दिया आदेश

स्कूलों में अघोषित अवकाश की वजहें

  • बाढ़ की वजह से स्कूलों में पानी लगना

  • ठंड के मौसम में शीत लहर और और गर्मी में लू

  • पुलिस का विद्यालयों में रुकना

  • श्रावणी मेला में कांवरियों के रुकने की व्यवस्था

  • आयोगों एवं बोर्ड परीक्षाओं की वजह से विद्यालयों का इस्तेमाल किया जाना

Next Article

Exit mobile version