सासाराम. सासाराम हिंसा मामले में जवाहर प्रसाद की जमानत याचिका खारिज कर दी गयी. सासाराम CJM कोर्ट से BJP के पूर्व विधायक को राहत नहीं मिली है. साथ ही सोमवार को इस मामले में रोहतास पुलिस ने धारा- 302 संकलित करने के लिए कोर्ट से अपील की, जिस कोर्ट ने मंजूर कर लिया. इसके बाद धारा 302 को भी इसी मामले में समाहित कर लिया गया है. ऐसे में अब पूर्व विधायक जवाहर प्रसाद की मुश्किलें बढ़ती दिख रही है. जवाहर प्रसाद फिलहाल पुलिस रिमांड पर हैं. उनसे पूछताछ की जा रही है. गिरफ्तारी के बाद जवाहर प्रसाद ने कहा था कि वे दंगाई नहीं हैं. उन पर गलत आरोप लगाया जा रहा है. जवाहर प्रसाद ने कहा कि वे माई तारा चंडी के भक्त है.
जानकारी के अनुसार रामनवमी के अवसर पर हुए हिंसा मामले में गिरफ्तार सासाराम के पूर्व विधायक जवाहर प्रसाद की जमानत याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया है. सोमवार को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के कोर्ट में हुए सुनवाई के दौरान यह फैसला सुनाया है. जवाहर प्रसाद पर अब तक सासाराम में हिंसा भड़काने का ही मामला दर्ज था, लेकिन अब इसमें पुलिस के आवेदन पर धारा 302 का मामला भी जोड़ दिया है. इसके बाद अब पूर्व विधायक की मुश्किलें और बढ़ गई हैं. जमानत रद्द होने के बाद अब उन्हें उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना होगा. वैसे इसी मामले में पहले के कई अभियुक्तों को जमानत दी गई थी, लेकिन अब जबकि धारा 302 समाहित कर दिया गया है, तो जिन-जिन लोगों को इस मामले में जमानत दी जा चुकी है, उन आरोपियों के जमानत को रद्द करने के लिए भी अभियोजन पक्ष की तरफ से कोर्ट में आवेदन दिया गया है.
रामनवमी के अवसर पर सासाराम और बिहार शरीफ में धार्मिक हिंसा की घटना हुई थी. इसमें दोनों जिलों में अलग-अलग जांच चल रही है. इस दौरान लगभग एक माह की जांच के बाद कुछ दिन पहले ही सासाराम पुलिस ने हिंसा भड़काने के मामले में सासाराम से पांच बार भाजपा के विधायक रहे जवाहर प्रसाद को गिरफ्तार किया था. उनकी गिरफ्तारी को लेकर भाजपा ने सीधा आरोप नीतीश सरकार पर लगाया था. भाजपा नेताओं का आरोप था कि नीतीश सरकार अपनी मुस्लिम तुष्टीकरण नीति के तहत हिन्दू नेताओं को फंसाने का काम कर रही है. इस मामले को लेकर भाजपा नेताओं ने सोमवार को राज्यपाल से मुलाकात की और दोनों जगहों की जांच एक स्वतंत्र एजेंसी से कराने का अनुरोध किया है.