प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा के लिए क्या-क्या होते हैं इंतेजाम, जानिये क्या है ट्रैवल प्रोटोकॉल
प्रधानमंत्री के पटना आगमन को देखते हुए सुरक्षा के पुख्ता इंतेजाम किये गये हैं. वैसे तो देश के प्रधानमंत्री की सुरक्षा की जिम्मेदारी स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप, यानी SPG की होती है, लेकिन जिला प्रशासन के जिम्मे भी काफी कुछ होता है.
पटना. प्रधानमंत्री के पटना आगमन को देखते हुए सुरक्षा के पुख्ता इंतेजाम किये गये हैं. वैसे तो देश के प्रधानमंत्री की सुरक्षा की जिम्मेदारी स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप, यानी SPG की होती है, लेकिन जिला प्रशासन के जिम्मे भी काफी कुछ होता है. प्रधानमंत्री के चारों ओर पहला सुरक्षा घेरा एसपीजी जवानों का होता, लेकिन उसके बाद के तीन घेरे जिला प्रशासन के जिम्मे होता है. प्रधानमंत्री की सुरक्षा में अलग-अलग घेरों के तहत एक हजार से ज्यादा कमांडो तैनात रहते हैं. प्रधानमंत्री की सुरक्षा में लगे एसपीजी जवानों को अमेरिका की सीक्रेट सर्विस की गाइडलाइंस के मुताबिक ट्रेनिंग दी जाती है. इनके पास एमएनएफ-2000 असॉल्ट राइफल, ऑटोमेटिक गन और 17 एम रिवॉल्वर जैसे मॉडर्न हथियार होते हैं.
क्या है दौरे का प्रोटोकॉल
किसी राज्य में प्रधानमंत्री के दौरे के समय चार एजेंसियां सुरक्षा व्यवस्था देखती हैं- एसपीजी, एएसएल, राज्य पुलिस और स्थानीय प्रशासन. एडवांस सिक्योरिटी संपर्क टीम प्रधानमंत्री के दौरे से जुड़ी हर जानकारी से अपडेट होती है. एएसएल टीम केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारी के संपर्क में होती है. केंद्रीय एजेंसियों के अधिकारी एएसएल की मदद प्रधानमंत्री के दौरे की निगरानी रखते हैं. स्थानीय पुलिस पीएम के दौरे के समय रूट से लेकर कार्यक्रम स्थल की सुरक्षा संबंधी नियम तय करती है. आखिरकार पुलिस के निर्णय की निगरानी एसपीजी अधिकारी ही करते हैं. केंद्रीय एजेंसी एएसएल प्रधानमंत्री के कार्यक्रम स्थल और रूट की सुरक्षा जांच करता है. इसके साथ ही एसपीजी प्रधानमंत्री के करीब आने वाले लोगों की तलाशी और प्रधानमंत्री के आसपास की सुरक्षा को देखता है. स्थानीय प्रशासन पुलिस के साथ मिलकर काम करते हैं.
सुरक्षा में चूक के लिए कौन जिम्मेदार
प्रधानमंत्री को सुरक्षा देने की पहली जिम्मेदारी भले ही एसपीजी की हो, लेकिन किसी राज्य के दौरे के समय स्थानीय पुलिस और सिविल प्रशासन भी सुरक्षा के लिए जिम्मेदार होता है. प्रधानमंत्री के रूट को तय कर उसकी जांच और उस रूट पर सुरक्षा देने का काम स्थानीय पुलिस और प्रशासन का ही होता है. प्रधानमंत्री के काफिले का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी उस राज्य के डीजीपी की भी होती है. उनके नहीं मौजूद होने की स्थिति में दूसरे सबसे सीनियर अधिकारी प्रधानमंत्री के काफिले के साथ चलते हैं.
हवाई यात्रा के दौरान प्रोटोकॉल
प्रधानमंत्री किसी कार्यक्रम में हेलिकॉप्टर के जरिए जा रहे हैं, तो किसी खास परिस्थिति के लिए कम से कम एक वैकल्पिक सड़क मार्ग तैयार रखने का नियम होता है. इस रास्ते पर सुरक्षा व्यवस्था की जांच सीनियर पुलिस अधिकारी पीएम के दौरे से पहले करते हैं. इस रास्ते पर सुरक्षा जांच रिहर्सल के समय एसपीजी, स्थानीय पुलिस, खुफिया ब्यूरो और एएसएल टीम के अधिकारी सभी शामिल होते हैं. एक जैमर वाली गाड़ी भी काफिले के साथ चलती है। ये सड़क के दोनों ओर 100 मीटर दूरी तक किसी भी रेडियो कंट्रोल या रिमोट कंट्रोल डिवाइस के को जाम कर देते हैं, इससे रिमोट से चलने वाले बम या आइइडी में विस्फोट नहीं होने देता.
सुरक्षा पर एक दिन में कितना खर्च
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा पर रोजाना एक करोड़ 62 लाख रुपए खर्च होते हैं. यह जानकारी 2020 में संसद में दिये एक प्रश्न के लिखित जवाब में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने दी थी. उन्होंने लोकसभा में बताया कि स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप, यानी एसपीजी सिर्फ प्रधानमंत्री को ही सुरक्षा देता है. साल 1981 से पहले भारत के प्रधानमंत्री के आवास की सुरक्षा की जिम्मेदारी दिल्ली पुलिस के उपायुक्त की होती थी. इसके बाद सुरक्षा के लिए एसटीएफ का गठन किया गया. 1984 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद एक कमेटी बनी और 1985 में एक खास स्पेशल प्रोटेक्शन यूनिट बनायी गयी. तब से इसी के पास प्रधानमंत्री की सुरक्षा का जिम्मा है.