पटना हाइकोर्ट ने तत्कालीन जहानाबाद और अब अरवल जिले के बहुचर्चित सेनारी नरसंहार कांड के सभी 13 दोषियों को बरी कर दिया है. न्यायाधीश अश्विनी कुमार सिंह और न्यायाधीश अरविंद श्रीवास्तव के खंडपीठ ने इस नरसंहार के दोषियों की ओर से दायर आपराधिक अपील पर शुक्रवार को अपना फैसला सुनाया. खंडपीठ ने लंबी सुनवाई के बाद इस अपील पर अपना फैसला पहले ही सुरक्षित कर लिया था. कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को रद्द करते हुए सभी 13 दोषियों को तुरंत रिहा करने का भी आदेश दिया.
बता दें कि 18 मार्च, 1999 की रात को प्रतिबंधित नक्सली संगठन एमसीसी के उग्रवादियों ने सेनारी गांव को चारों तरफ से घेर लिया था. इसके बाद एक जाति विशेष के 34 लोगों को उनके घरों से जबरन निकालकर ठाकुरवाड़ी के पास ले जाकर गला रेत कर हत्या कर दी थी. इस घटना के बिहार की राजनीति में भयानक भूचाल आया था. अब हाई कोर्ट ने 22 साल बाद इस घटना के आरोपियों को बरी कर दिया है.
इसी मामले में जहानाबाद की जिला अदालत ने 15 नवंबर, 2016 को 10 अभियुक्तों को मौत की सजा सुनायी थी, जबकि तीन अभियुक्तों को उम्रकैद की सजा दी थी और उन पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था. उस समय इस केस के दो दोषी फरार चल रहे थे. इसके अलावा निचली अदालत ने पीड़ितों के परिजनों को 5-5 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश भी दिया था.
निचली अदालत में फांसी की सजा पाये अभियुक्तों की फांसी की सजा की पुष्टि हाइकोर्ट से कराने के लिए राज्य सरकार ने पटना हाइकोर्ट में डेथ रेफरेंस दायर किया, जबकि दोषियों में द्वारिका पासवान, बचेश कुमार सिंह, मुंगेश्वर यादव और अन्य ने आपराधिक अपील दायर कर निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी. अपने 125 पन्नों के जजमेंट में खंडपीठ ने सभी दोषियों को बरी कर दिया. साथ ही कोर्ट ने उन्हें रिहा करने का आदेश दिया.
मालूम हो कि इस केस के कुल 70 आरोपितों में से चार की मौत हो चुकी है. 2016 में निचली अदालत पहले ही 20 आरोपितों को बरी कर चुकी थी. कोर्ट ने 1.बचेश कुमार सिंह, 2.बुधन यादव, 3.गोपाल साव, 4.बुटइ यादव, 5.सतेंद्र दास, 6.ललन पासी, 7.द्वारिका पासवान, 8.करीमन पासवान, 9.गोरइ पासवान, 10.उमा पासवान, 11.मुंगेश्वर यादव, 12.विनय पासवान, 13.अरविंद पासवान को बरी कर दिया है.
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Posted By : Avinish Kumar Mishra