सेनारी नरसंहार मामला : सुप्रीम कोर्ट ने मंजूर की बिहार सरकार की याचिका, सभी बरी आरोपितों को नोटिस जारी

सेनारी नरसंहार मामले में बिहार सरकार की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने मंजूर कर लिया है.हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ बिहार सरकार ने सुप्रीमकोर्ट का दरबाजा खटखटाया है. पटना हाइकोर्ट ने इस मामले में साक्ष्य के अभाव में सभी आरोपियों को बरी कर दिया था.

By Prabhat Khabar News Desk | July 12, 2021 1:52 PM

सेनारी नरसंहार मामले में बिहार सरकार की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने मंजूर कर लिया है.हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ बिहार सरकार ने सुप्रीमकोर्ट का दरबाजा खटखटाया है. पटना हाइकोर्ट ने इस मामले में साक्ष्य के अभाव में सभी आरोपियों को बरी कर दिया था. इसी के खिलाफ बिहार सरकार सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका दाखिल की है.

बिहार सरकार की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस कृष्ण मुरारी की बेंच ने सोमवार को सुनवाई की. अदालत ने सभी 13 आरोपियों को याचिका की कॉपी देने को कहा है. साथ ही सभी पक्षों को नोटिस जारी किया गया है.

जानकारी के अनुसार बिहार सरकार ने पटना हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए कहा है कि 1999 के सेनारी नरसंहार हुआ था. पटना हाईकोर्ट ने 10 की मौत और 3 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाने का निचली अदालत का आदेश पलट दिया है. बिहार सरकार ने कहा कि हाईकोर्ट का आदेश रिकॉर्ड में रखे गये सबूतों के विपरीत है और 13 चश्मदीद गवाहों की गवाही को खारिज कर दिया गया है.

बिहार सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक की मांग करते हुए कहा कि शीर्ष अदालत द्वारा अपील के निपटारे तक सभी 13 को आत्मसमर्पण करना चाहिए. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि अभियोजन पक्ष के गवाह विश्वसनीय नहीं हैं और आरोपी संदेह का लाभ पाने के योग्य हैं और उनकी रिहाई का आदेश दिया.

मालूम हो कि सेनारी हत्याकांड 18 मार्च 1999 की शाम को हुआ था. 18 मार्च 1999 को वर्तमान अरवल जिले (तत्कालीन जहानाबाद) के करपी थाना के सेनारी गांव में 34 लोगों की निर्मम हत्या कर दी गई थी. सेनारी गांव में एक मंदिर के पास माओवादी संगठन के कथित सदस्यों ने 34 लोगों को लाइन में खड़ा होने के लिए मजबूर किया, बाद में गला काटकर और गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी.

चिंता देवी, जिनके पति अवध किशोर शर्मा और पुत्र मधुकर उर्फ ​​झब्बू हत्याकांड में शामिल थे, इस मामले में शिकायतकर्ता थीं. 2011 में उनकी मृत्यु हो गयी. निचली अदालत द्वारा 15 नवंबर, 2016 को नरसंहार कांड के 10 आरोपियों को फांसी और अन्य को आजीवन कारावास की सजा दी गई थी, लेकिन पटना हाईकोर्ट ने निचली अदालत से दोषी ठहराए गये 13 आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया था. साथ ही निचली अदालत द्वारा दी गई सजा को रद्द कर दिया था

Posted by Ashish Jha

Next Article

Exit mobile version