पटना. विधानसभा में मंगलवार को बिहार स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के गठन से संबंधित विधेयक पास हो गया. इसकी जानकारी देते हुए स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं में गुणात्मक परिवर्तन हुआ है. मेडिकल कॉलेज, पारा मेडिकल, नर्सिंग, जीएनएम समेत ऐसे अन्य सभी संस्थानों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है. इनका संचालन समुचित तरीके से करने के लिए इस विशेष स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय का गठन किया जा रहा है.
इस विधेयक में तीन संशोधन पेश किये गये, जिन्हें मंजूरी देते हुए सर्वसम्मति से विधेयक पास हो गया. इसके अनुसार स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय में किसी डीम्ड यूनिवर्सिटी के तहत आने वाले मेडिकल या नर्सिंग कॉलेज शामिल नहीं होंगे. संशोधन का यह प्रस्ताव जदयू के विधायक पंकज मिश्रा की तरफ से आया था, जिसे स्वास्थ्य मंत्री ने स्वीकार कर लिया. इसके अलावा भाजपा विधायक संजय सारगवी ने दो तकनीकी संशोधन पेश किये, वे भी मंजूर हो गये.
इसके मुताबिक, व्यावसायिक शिक्षा देने वाले स्ववित्तपोषित या निजी संस्थानों को इस विश्वविद्यालय से कोर्स संचालित करने के लिए एफिलिएशन लेना अनिवार्य होगा. इसके अलावा स्वास्थ्य विज्ञान में शिक्षा देने वाला कोई भी संस्थान इस विश्वविद्यालय से बिना अनुमति लिये कोई कोर्स नहीं चलायेगा.
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि इस स्वास्थ्य विश्वविद्यालय के दायरे में आयुर्वेदिक, यूनानी, होमियोपैथी समेत अन्य चिकित्सा पद्धतियों से जुड़े सभी कोर्स आ जायेंगे. राज्य सरकार सभी अनुमंडलों में एएनएम और सभी जिलों में एक-एक बीएससी नर्सिंग और जीएनएम के संस्थान खोल रही है, जिनका संचालन भी इसी के तहत होगा.
इस विश्वविद्यालय में महिला अभ्यर्थियों के नामांकन और नियुक्ति में सरकार की तरफ से निर्धारित आरक्षण का लाभ दिया जायेगा. इसके अलावा इसमें राज्य सरकार के स्तर से निर्धारित आरक्षण रोस्टर का पालन पूरी तरह से किया जायेगा. आने वाले समय में स्वास्थ्य विज्ञान के जितने भी विषय बढ़ेंगे, उनका संचालन इसी यूनिवर्सिटी के अंतर्गत होगा.
Posted by Ashish Jha