बिहार में सरकार बदली तो सात जिलों को मिल गये सत्ताधारी दल के विधायक, अब मंत्री की चाहत
बिहार में भाजपा के सत्ता से बाहर होने और महागठबंधन को सत्ता में लौटने से इसकी संरचना में बदलाव आया है. इसका परिणाम सात जिलों के विधायकों को सीधे मिलने वाला है. पांच साल तक इन जिलों से विधानसभा पहुंचने वाले एक भी विधायक सत्ता पक्ष के नहीं थे.
शशिभूषण कुंवर पटना. बिहार में भाजपा के सत्ता से बाहर होने और महागठबंधन को सत्ता में लौटने से इसकी संरचना में बदलाव आया है. इसका परिणाम सात जिलों के विधायकों को सीधे मिलने वाला है. पांच साल तक इन जिलों से विधानसभा पहुंचने वाले एक भी विधायक सत्ता पक्ष के नहीं थे. मतलब साफ है कि इन जिलों में न तो भाजपा के विधायक और न ही जदयू के विधायक निर्वाचित हुए थे. अब इन जिलों के निर्वाचित या दल बदल करने वाले विधायक को सत्ता में भागीदारी मिल गयी है.
बाउंस बैक करके सत्ता में लौटे इन जिलों के विधायकों को अपने क्षेत्र की जनता का और बेहतर ढंग से सेवा करने का मौका मिलेगा. बिहार के जिन सात जिलों में एक भी भाजपा या जदयू के विधायक निर्वाचित नहीं हुए हैं ,उनमें शिवहर, किशनगंज, बक्सर, रोहतास, अरवल, जहानाबाद और औरंगाबाद शामिल हैं.
शिवहर जिले में एक ही विधानसभा सीट है जहां पर राजद के विधायक निर्वाचित हुए हैं. इसी प्रकार से किशनगंज जिले में बहादुरगंज से राजद, ठाकुरगंज से राजद, किशनगंज से कांग्रेस और कोचाधामन से राजद के सदस्य सत्ता में शामिल होंगे. इसी प्रकार से बक्सर जिले के बक्सर से कांग्रेस, डुमरांव से माले, राजपुर से कांग्रेस और ब्रह्मपुर से राजद के विधायक भी सता पक्ष में चले आये हैं.
रोहतास जिले के चेनारी से कांग्रेस, सासाराम से राजद, करगहर से कांग्रेस, दिनारा से राजद , नोखा से राजद, डेहरी से राजद और काराकाट से माले के सदस्यों को सत्तापक्ष का सुख भोगने का मौका मिलेगा. अरवल जिले में तीन विधानसभा क्षेत्र हैं जहां जहानाबाद से राजद, घोसी से माले और मखदुमपुर से माले के विधायक हैं.
इसी प्रकार औरंगाबाद जिले की गोह से राजद, ओबरा से राजद, नवीनगर से राजद, कुटुंबा से कांग्रेस, औरंगाबाद से कांग्रेस और रफीगंज से राजद के सदस्य सत्ता में शामिल हो गये हैं. अब इन सात जिलों के लोगों को उम्मीद है कि इन जिलों से किसी न किसी विधायक को मंत्री पद भी मिलेगा. लोगों में इस बात को लेकर चर्चा चल रही है.