बिहार: हाजीपुर में एडीजे छह सह पॉक्सो के विशेष न्यायाधीश जीवन लाल के न्यायालय ने करीब पांच वर्ष पूर्व 17 वर्षीया एक किशोरी के अपहरण व दुष्कर्म के मामले में जुड़ावनपुर थाने की राघोपुर पश्चिमी पंचायत के पूर्व मुखिया मुन्ना सिंह को सात वर्ष सश्रम कारावास की सजा सुनायी है, साथ 40 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया गया है. अर्थदंड की राशि और बिहार प्रतिकर निधि से तीन लाख रुपये पीड़िता को देने का भी आदेश दिया गया है. यह जानकारी विशेष लोक अभियोजक मनोज कुमार शर्मा ने दी.
विशेष लोक अभियोजक ने बताया कि एक जुलाई, 2017 की अहले सुबह पीड़िता के पिता की नींद खुली तो घर के पीछे का दरवाजा खुला हुआ था. यह देख उसने के घर के सदस्यों को जगाया. इसी दौरान पता चला कि उसकी 17 वर्षीया पुत्री घर पर नहीं है. उसकी खोजबीन शुरू की गयी, लेकिन कुछ पता नहीं चल सका. खोजबीन के दौरान ही एक मोबाइल मिला. उस मोबाइल पर देर रात चार बार मैसेज का आदान-प्रदान किया गया था. इसके बाद पीड़िता के पिता ने जुड़ावनपुर थाने में अज्ञात के विरुद्ध अपनी नाबालिग पुत्री के अपहरण की प्राथमिकी करायी थी. पुलिस ने सात जुलाई, 2017 को पटना से बरामद कर व्यवहार न्यायालय में पीड़िता का बयान दर्ज कराया. पीड़िता ने आरोप लगाया था कि एक जुलाई की रात करीब दो बजे मुन्ना सिंह मुखिया ने उसे कॉल कर बाहर बुलाया. जैसे ही वह बाहर निकली, उसे अपने कार्यालय में ले गया और वहां उसके साथ दुष्कर्म किया गया. इसके बाद एक युवक के साथ बाइक से पटना भेज दिया. वहां उस युवक ने उसे कमरे में बंद कर दिया. वहां से पुलिस ने उसे बरामद किया.
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इस मामले में पुलिस ने 30 सितंबर, 2017 को न्यायालय में आरोपपत्र समर्पित किया था. न्यायालय ने छह अक्तूबर को संज्ञान लिया. 24 दिसंबर, 2017 को मुन्ना सिंह के विरुद्ध आरोप का गठन किया गया था. इस मामले में विशेष लोक अभियोजक मनोज कुमार शर्मा द्वारा कराये गये 15 साक्षियों एवं प्रस्तुत 22 प्रदर्श के परीक्षण प्रतिपरीक्षण के बाद मुन्ना सिंह को बीते 24 अप्रैल को दोषी करार दिया गया था. गुरुवार को सजा के बिंदु पर सुनवाई करते हुए भादवि की धारा 376 में सात वर्षों का सश्रम कारावास तथा 15 हजार रुपये अर्थदंड एवं भादवि की धारा 366 (ए) में पांच वर्षों का सश्रम कारावास तथा 25 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनायी गयी है.