नमामि गंगे: सुपौल, लखीसराय, मोतिहारी और दाऊदनगर में बनेंगे दस नये एसटीपी, 67.6 एमएलडी होगी क्षमता

बुडको ने सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण कार्य के डिजाइन से लेकर निर्माण पूरा करने के लिए एजेंसियों की तलाश शुरू कर दी है. अगर सब कुछ ठीक रहा तो मई 2023 में बिड की प्रक्रिया पूरी कर जून से इन योजनाओं पर काम शुरू हो सकता है. वर्क ऑर्डर के बाद डेढ़ से दो साल में निर्माण पूरा किये जाने का लक्ष्य है.

By Prabhat Khabar News Desk | April 26, 2023 4:16 AM
an image

पटना. नमामि गंगे योजना के तहत सूबे के चार शहरों सुपौल, लखीसराय, मोतिहारी और दाऊदनगर में दस नये सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) और उससे संबंधित ड्रेनेज निर्माण की तैयारी शुरू हो गयी है. इनकी कुल क्षमता प्रति दिन 67.6 एमएलडी (मेगालीटर्स) की होगी. बिहार अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (बुडको) ने संबंधित कार्य के डिजाइन से लेकर निर्माण पूरा करने के लिए एजेंसियों की तलाश शुरू कर दी है. अगर सब कुछ ठीक रहा तो मई 2023 में बिड की प्रक्रिया पूरी कर जून से इन योजनाओं पर काम शुरू हो सकता है. वर्क ऑर्डर के बाद डेढ़ से दो साल में निर्माण पूरा किये जाने का लक्ष्य है.

एसटीपी के साथ पंपिंग स्टेशन व ड्रेन भी बनेंगे

  • बुडको से मिली जानकारी के मुताबिक सुपौल में इंसेप्शन व ड्रेनेज के साथ तीन एसटीपी का निर्माण होगा. इनकी क्षमता क्रमश: नौ, दो और 1.1 एमएलडी होगी.

  • इसी तरह, लखीसराय में 11-11 एमएलडी क्षमता की दो एसटीपी का निर्माण किया जायेगा. इसके साथ ही करीब 2116 मीटर की ड्रेन और 224 मीटर का डिस्पोजल चैनल (नाला) भी बनाया जायेगा.

  • मोतिहारी शहर में 4.6, 6.3, 5.8 और 6.3 क्षमता की क्रमश: चार एसटीपी का निर्माण होगा. इसके साथ ही पानी खींचने के लिए तीन पंपिंग स्टेशन और 636 मीटर का ड्रेन भी बनाया जायेगा. योजना में मोतीझील ड्रेनेज की मरम्मत का काम भी शामिल रहेगा.

  • दाऊदनगर शहर में 10.5 एमएलडी क्षमता की मात्र एक एसटीपी, 349 क्षमता की इंसेप्शन ड्रेन और 513 मीटर का पाइपलाइन तैयार किया जायेगा.

Also Read: बिहार में पंचायती राज कर्मियों की भी लगेगी बायोमैट्रिक हाजिरी, गृह विभाग ने पंचायती राज विभाग को भेजा पत्र

15 साल तक संचालन व मेंटेनेंस की भी जिम्मेदारी

चयनित एजेंसियों को एसटीपी, ड्रेनेज व चैनल निर्माण के साथ ही अगले 15 साल तक उसके संचालन व मेंटेनेंस की जिम्मेदारी भी दी जायेगी. सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांटों में मानव रहित व्यवस्था को कम करने के लिए ऑटोमेटिक गेट लगाये जायेंगे, ताकि जरूरत पड़ने पर उनको खोला व बंद किया जा सके.

Exit mobile version