गोपालगंज: बिहार के गोपालगंज स्थित परसौनी निवासी रामकलावन सेशेल्स के राष्ट्रपति चुने गए हैं. 130 साल पहले रामकलावन के पूर्वज कोलकाता बंदरगाह से नमक का व्यापार करने के लिए सेशेल्स चले गए थे. रामकलावन के राष्ट्रपति बनने की खबर सुनकर गांव में उत्सव जैसा माहौल है. गांव वालों ने पटाखे फोड़कर खुशियां मनाई. गांव के बेटे का सेशेल्स का राष्ट्रपति चुने जाने पर गांव वालों में खुशी की लहर है.
गोपालगंज में रहते थे रामकलावन के पूर्वज
सेशेल्स के राष्ट्रपति चुने गये वैवेल रामकलावन के पूर्वज बिहार के गोपालगंज के बरौली प्रखंड के परसौनी गांव के नोनिया टोली के रहने वाले थे. मंगलवार को राष्ट्रपति चुने जाने की खबर मिलते ही परसौनी गांव में खुशियां छा गई. राष्ट्रपति के रिश्तेदारों ने एक-दूसरे को बधाई देते हुए पटाखे फोड़े और मिठाइयां बांटी. राष्ट्रपति के चचेरे भाई 82 वर्षीय रघुनाथ महतो बताते हैं कि गंडक नदी के किनारे बसे परसौनी गांव की स्थिति बेहद खराब थी.
नमक का व्यापार करने गए थे मॉरिशस
वैवेल रामकलावन के पिता हरिचरण महतो अपने भाई जयराम महतो के साथ नमक का कारोबार करने के लिए 130 साल पहले कोलकाता गये थे. कोलकाता में दोनों भाई गांव वालों के साथ छह साल तक कारोबार करने के बाद बिछड़ गये. तीन साल तक इंतजार करने के बाद जयराम महतो वापस परसौनी आ गये थे. इस बीच पता चला कि हरिचरण महतो जहाज से मॉरिशस चले गये हैं.
मॉरीशस में रामकलावन का राजनीतिक जीवन
मॉरिशस में ही जन्मे वैवेल रामकलावन ने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत की. राष्ट्रपति के रिश्तेदार रघुनाथ महतो बताते हैं कि अपने चाचा हरिचरण के बारे में बहुत कुछ अब याद नहीं है. इतना याद है कि मॉरिशस जाने के बाद भी किसी ने किसी माध्यम से अपने भाई जयराम महतो से संपर्क बनाये रखा.
बाद में मोबाइल का जमाना आने पर इनके शिक्षक पुत्र त्रिलोकी महतो, हरिचरण महतो के पुत्र वैवेल रामकलावन से सोशल मीडिया पर संपर्क बनाये रखे. इसी बीच 10 जनवरी 2018 को वैवेल रामकलावन अपने पूर्वजों की मिट्टी को नमन करने परसौनी गांव आये थे.
जनवरी 2018 में बिहार आए थे रामकलावन
वर्ष 2018 की जनवरी में अपने पुरखों की धरती गोपालगंज पहुंचे रामकलावन ने बिहार और अपने पुरखों की धरती को अपना बताते हुए कहा था कि आज मैं जो भी हूं, इसी उर्वरा धरती की देन है. मैं ये नहीं जानता कि मेरे पूर्वजों के परिवार के लोग कौन हैं, लेकिन इस धरती पर पहुंचते ही ऐसा आभास हो रहा है कि हर घर मेरा अपना ही है.
गांव वालों में दौड़ी खुशी की लहर, फूटे पटाखे
रामकलावन के परदादा 18वीं सदी में मॉरिशस गये और वहीं खेती करने लगे और वही बस गये. उसके बाद उनका पोता वैवेल रामकलवान राजनीति में आ गये. विपक्ष के नेता रहे वैवेल रामकलावन सेशेल्स में अब राष्ट्रपति चुने जा चुके हैं. इसकी खुशी पूरे परसौनी में तो है ही, खासकर उन परिवारों में है, जिनके पूर्वज मॉरिशस चले गये.
Posted By- Suraj Thakur