क्या पूर्णिया को भाने लगा निर्दलीय उम्मीदवार? पप्पू यादव के बाद अब शंकर सिंह बने दिग्गजों के लिए कांटा
बिहार के पूर्णिया लोकसभा चुनाव जीतकर निर्दलीय उम्मीदवार पप्पू यादव सांसद बने. अब यहां रूपौली उपचुनाव में भी निर्दलीय उम्मीदवार शंकर सिंह ने सबको चौंकाया है.
रूपौली उपचुनाव में पड़े वोटों की गिनती जब शनिवार को शुरू हुई तो पहले राउंड के ही परिणाम ने सबको चौंका दिया. जहां राजद और जदयू के बीच टक्कर की संभावना दिख रही थी उसे निर्दलीय उम्मीदवार बनकर मैदान में उतरे शंकर सिंह ने गलत साबित कर दिया और शुरू से ही रेस में बने रहे. राजद प्रत्याशी बीमा भारती को शुरू के 6 राउंड में पीछे छोड़ते हुए शंकर सिंह दूसरे नंबर पर बने रहे. जबकि सातवें और आठवें राउंड में वो जदयू से भी आगे निकल आए और 12 राउंड की गिनती के बाद उन्होंने 8211 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की. जिसके बाद अब सवाल सामने आया है कि क्या निर्दलीय सांसद चुनने वाला पूर्णिया को अब निर्दलीय उम्मीदवार भी भाने लगा है?
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पप्पू यादव के बाद शंकर सिंह ने चौंकाया
रूपौली उपचुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी शंकर सिंह ने अपने प्रदर्शन से सबको चौंकाया है. ऐसा ही कुछ हाल में हुए लोकसभा चुनाव में यहां हुआ था जब निर्दलीय प्रत्याशी पप्पू यादव ने सबको दंग करके रख दिया था. दोनों चुनाव में एक समानता यह रही कि राजद की प्रत्याशी दोनों चुनाव में बीमा भारती ही रहीं और बीमा भारती दोनों चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार से पीछे चलती रहीं.
लोकसभा चुनाव की तरह ही दिलचस्प हुआ उपचुनाव
पूर्णिया लोकसभा चुनाव और इस लोकसभा क्षेत्र के रूपौली विधानसभा उपचुनाव में एक और समानता दिखी है कि वोटों की गिनती शुरू होने के बाद से ही जदयू और निर्दलीय उम्मीदवारों के बीच ही कड़ी टक्कर रही. रूपौली में जदयू के कलाधर मंडल 6 राउंड तक आगे रहे जबकि सातवें राउंड में उन्हें निर्दलीय उम्मीदवार शंकर सिंह ने पछाड़ दिया और सबसे आगे निकल गए.11वें राउंड की गिनती के बाद शंकर सिंह को 64100 वोट थे. जदयू के कलाधर मंडल को 57262 वोट और राजद की बीमा भारती को 29213 वोट मिले थे. बता दें कि कुल 12 राउंड तक वोटों की ये गिनती चलनी है.
निर्दलीय उम्मीदवारों की उम्मीदें बढ़ेंगी?
रूपौली विधानसभा उपचुनाव का परिणाम खबर लिखे जाने तक सामने नहीं आया था. लेकिन जिस तरह निर्दलीय उम्मीदवार शंकर सिंह ने जदयू के उम्मीदवार को टक्कर दी है और राजद के उम्मीदवार को पछाड़ा है. उससे यह अब सवाल सामने आया है कि क्या पूर्णिया की जनता अब पार्टी से आगे बढ़कर उम्मीदवार पर फोकस करने लगी है? पूर्णिया के इन दो चुनावों ने अब निर्दलीय उम्मीदवारी की सोच रखने वालों की उम्मीदें बढ़ायी है.
कौन हैं शंकर सिंह?
शंकर सिंह ने वर्ष 2000 में राजनीति में एंट्री की. लोजपा की तरफ से उन्होंने टिकट हासिल करके रूपौली में उन्होंने पहले चुनाव लड़ा है. वो 2005 में रूपौली के विधायक बने. लेकिन सूबे में हुई सियासी उठापटक के कारण शंकर सिंह महज कुछ ही दिनों तक विधायक रह सके थे. वहीं 2010,2015 और 2020 के चुनाव में शंकर सिंह यहां दूसरे नंबर पर रहे. उपचुनाव में जब एनडीए में सीट जदयू के पास गयी तो शंकर सिंह ने लोजपा (रामविलास) से इस्तीफा देकर निर्दलीय प्रत्याशी बनकर मैदान में कूदे.