नीतीश कुमार-लालू प्रसाद और रामविलास पासवान के बेहद खास थे शरद यादव, इस वजह से दोस्ती में आयी थी दरार
शरद यादव ने अपने राजनीतिक करियर में कई उतार-चढ़ाव देखे. उन्होंने चुनौतियों को बड़े अवसर में बदला और दिग्गज नेताओं के साथ मिलकर राजनीति में समाजवाद की विचारधारा को आगे बढ़ाया. खासकर बिहार की राजनीति में शरद यादव ने कई बार अहम भूमिका निभाई.
पटना: जदयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव का 75 साल की उम्र में गुरुवार की रात 9 बजे निधन हो गया. उनकी तबीयत काफी दिनों से खराब चल रही थी. शरद यादव की बेटी सुभाषिनी यादव ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी. शरद यादव के निधन की सूचना के बाद बिहार के राजनीतिक गलियारे में शोक की लहर दौड़ गयी. बता दें कि लंबे समय तक लोकसभा के सदस्य रहने वाले समाजवादी नेता शरद यादव का कभी बिहार के दिग्गज नेताओं के साथ खास लगाव था. लेकिन अचानक उनकी दोस्ती में दरार आ गयी थी. जिसके बाद शरद यादव ने अपनी एक अलग पार्टी बनायी थी.
जेपी के आंदोलन के समय पहली बार बने थे सांसददेश के चर्चित समाजवादी नेता शरद यादव के निधन के बाद देश में शोक की लहर है. शरद यादव का जन्म मध्य प्रदेश के होशंगाबाद (अब नर्मदापुरम) जिले के बाबई (अब माखन नगर) तहसील स्थित अखमऊ गांव में 1 जुलाई 1947 को एक किसान परिवार में हुआ था. उनके पिता का नाम नंद किशोर यादव और माता का नाम सुमित्रा यादव था. शरद यादव का बिहार के दिग्गज नेताओं के साथ शरद यादव का काफी गहरा लगाव रहा था. राम मनोहर लोहिया के साथ राजनीतिक डगर पर चलने वाले शरद यादव 974 में पहली बार जेपी के आंदोलन के समय लोकसभा के सदस्य बने थे. जेपी आंदोलन के दौरान ही नीतीश कुमार, लालू प्रसाद , रामविलास पासवान जैसे नेता बिहार में उभरे थे. इस आंदोलन के दौरान ही बिहार की राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाने वाले जॉर्ज फर्नांडिस से शरद यादव बेहद करीबी थे.
1989 में केंद्र में जनता दल से बीपी सिंह की सरकार बनी थी. जनता दल में सभी घटक दल शामिल हुए थे. उस समय शरद यादव केंद्रीय मंत्री बने थे. मंत्रीमंडल में रामविलास पासवान मंत्री बने थे. नीतीश कुमार भी बीपी सिंह की सरकार में सांसद थे. उस दौरान लालू प्रसाद यादव भी जनता दल में ही थे. इसके बाद 1990 में जनता दल से चुनाव जीत कर लालू यादव पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने थे.
1994 में जॉर्ज फर्नांडिस ने जनता दल से अलग होकर बनायी समता पार्टी1994 में जॉर्ज फर्नांडिस और नीतीश कुमार ने जनता दल से अलग होकर समता पार्टी बनाई थे. इसके बाद में लालू प्रसाद यादव ने भी राष्ट्रीय जनता दल के नाम से पार्टी बनाई. इसी दौरान लालू-नीतीश-रामविलास और शरद के बीच पहली बार दूरियां बढ़ने लगी थी. इसी दौरान 1998 में शरद यादव ने लोक दल नामक पार्टी बनायी थी. हालांकि 003 में शरद यादव जार्ज फर्नांडिस और नीतीश कुमार एकजुट हुए थे जिसमें लोकदल और समता पार्टी का विलय हो गया था. विलय के बाद समता पार्टी को नयी पहचान मिली थी. जिसका नाम जनता दल यूनाइटेड रखा गया था.
11 साल तक साथ रहे नीतीश और शरद यादवसमता पार्टी और लोकदल के विलय के बाद जॉर्ज फर्नांडिस जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने थे. लेकिन कुछ ही दिन बाद जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव बने थे. इसके बाद नीतीश कुमार और शरद यादव साथ लगभग 11 साल तक बना रहा. राजनीतिक कालचक्र इसी तरह से आगे बढ़ता गया. साल 2003 में जदयू और बीजेपी के बीच गठबंधन हो गया. गठबंधन के बाद शरद यादव को एनडीए का संयोजक बनाया गया था. 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चुनाव लड़ने के बाद जेडीयू बीजेपी से अलग हो गई थी. जिसके बाद शरद यादव ने एनडीए के संयोजक के पद से इस्तीफा दे दिया था.
https://www.youtube.com/watch?v=6lfhVV7CxKk इस वजह से नीतीश से नाराज हो गए थे शरदएनडीए के द्वारा प्रधानमंत्री पद के लिए नरेंद्र मोदी के नाम पर मुहर लगने के बाद नीतीश कुमार ने बीजेपी से नाता तोड़ने का फैसला किया. 2014 की हार के बाद नीतीश और शरद के बीच खटास आना शुरू हो गई थी. नीतीश कुमार ने बिहार में 2015 के विधानसभा चुनावों में भाजपा को हराने के लिए शरद के कट्टर प्रतिद्वंद्वी माने जाने वाले लालू प्रसाद यादव से हाथ मिला लिया.
2018 में शरद ने बनायी नयी पार्टीइस बीच, नीतीश कुमार ने 2017 में फिर से भाजपा के साथ हाथ मिला लिया. कहा जाता है कि नीतीश कुमार के इस फैसले ने शरद यादव का धैर्य तोड़ दिया. उन्होंने विपक्षी खेमे में रहने का फैसला किया और 2018 में लोकतांत्रिक जनता दल नाम की नई पार्टी बनाने का ऐलान कर दिया. हालांकि, ये नई पार्टी कभी उड़ान नहीं भर सकी और शरद यादव के खराब स्वास्थ्य ने उनकी सक्रिय राजनीति को लगभग समाप्त कर दिया. ऐसे में उन्होंने मार्च 2022 में अपनी पार्टी का राजद में विलय कर दिया.
शरद यादव का राजनीतिक सफर1974 (उप चुनाव में पहली बार 5वीं लोकसभा के सदस्य निर्वाचित)
1976 (दूसरी बार 6वीं लोकसभा के लिए हुए निर्वाचित)
1978 (लोकदल के महासचिव बने)
1978 (युवा लोकदल के अध्यक्ष बने)
1986 (राज्य सभा के सदस्य चुने गए)
1989 (तीसरी बार 9वीं लोकसभा के सदस्य निर्वाचित)
1989-97 (जनता दल के राष्ट्रीय महासचिव)
1989-90 (केद्रीय मंत्री, कपड़ा और फूड प्रासेसिंग इंडस्ट्रीज)
1991 (चौथी बार 10वीं लोकसभा के लिए निर्वाचित)
1993 नेता, जनता दल पार्लियामेंट्री पार्टी
1995, कार्यकारी अध्यक्ष जनता दल
1996 (पांचवीं बार 11वीं लोकसभा के सदस्य निर्वाचित, चेयरमैन वित्त समिति)
1997- अध्यक्ष, जनता दल
1999 -(6ठी बार 13वीं लोकसभा के सदस्य निर्वाचित)
13 अक्टूबर 1999-31 अगस्त 2001 तक (केंद्रीय मंत्री, नागरिक उड्डयन)
1 सितंबर 2001-30 जून 2002 तक ( केंद्रीय श्रम मंत्री)
1 जुलाई 2002 से 15 मई 2004 तक (केंद्रीय मंत्री उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण)
2004 (दूसरी बार राज्यसभा सदस्य चुने गए, इस दौरान तमाम केंद्रीय कमेटियों के सदस्य रहे)
2009 (7वीं बार 15वीं लोकसभा के सदस्य निर्वाचित, 31 अगस्त 2009 चेयरमैन, शहरी विकास समिति)