Bihar News : केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 2025 के लिए पद्म पुरस्कारों की घोषणा कर दी है. बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव होने वाला है. इस दौरान भाजपा के वरिष्ठ नेता और बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी को पद्म भूषण से सम्मानित किया गया है. इस साल बिहार की सात हस्तियों को पद्म सम्मान से सम्मानित किया जाएगा. गृह मंत्रालय द्वारा जारी सूची में बिहार कोकिला शारदा सिन्हा को कला के क्षेत्र में पद्म विभूषण, सुशील कुमार मोदी को लोक कार्य के क्षेत्र में पद्म भूषण एवं स्व. आचार्य किशोर कुणाल को सिविल सेवा के क्षेत्र में पद्मश्री का सम्मान मरणोपरांत दिया गया है.
शारदा सिन्हा
लोक गायिका शारदा सिन्हा की बात करें तो उनकी पहचान छठ के गीतों से हुई. उन्होंने हालांकि कई हिंदी फिल्मों के लिए भी गाने गाए लेकिन छठ गीतों के लिए उनकी ख्याति देश ही नहीं, विदेशों तक पहुंची. शारदा सिन्हा छठ गीतों का पर्याय बन चुकी हैं. लोकगीतों के लिए उन्हें पहले भी कई पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है. पिछले साल पांच नवंबर को उनका निधन हो गया. शारदा सिन्हा का संगीत सफर हमेशा से प्रेरणादायक रहा है. बचपन से ही उन्होंने संगीत में गहरी रुचि दिखाई थी. उनके पिता ने उनकी इस रुचि को पहचाना और उन्हें भारतीय नृत्य कला केंद्र में संगीत की शिक्षा दिलवाई. शिक्षा के साथ-साथ शारदा सिन्हा ने अपने परिवार की जिम्मेदारियों को भी निभाया. उन्होंने राजनीति शास्त्र में स्नातक की डिग्री ली और बाद में डॉ. बृजकिशोर सिन्हा से विवाह किया. शारदा सिन्हा की संगीत यात्रा आसान नहीं रही थी. उनके जीवन में कई कठिनाइयां आईं, खासकर जब उनकी सास नहीं चाहती थीं कि वह गायन को जारी रखें.
सुशील मोदी
सुशील मोदी भारतीय जनता पार्टी के एक अनुभवी नेता थे. उन्होंने बिहार की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. आंकड़ों में महारत हासिल मोदी ने भ्रष्टाचार को लेकर हमेशा लड़ाई लड़ी. सुशील मोदी का निधन 13 मई 2024 को कैंसर से हो गया था. संगठन के प्रति अपार निष्ठा से वह आरएसएस सदस्य बने रहे. 1973 में पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के महासचिव बने और राजनीति में उन्होंने फिर कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा. जेपी आंदोलन की शुरुआत में ही सुशील मोदी भी उसमें कूद पड़े. कांग्रेस की सरकार ने इन्हें 19 महीने तक जेल में रखा. 1977 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ गए. इसके बाद भाजपा ने उनके जुझारूपन को भांपा और 1990 में पटना केंद्रीय विधानसभा क्षेत्र से टिकट दिया, जिसमें उन्हें जीत मिल गई. इसके बाद 1996 में वह नेता प्रतिपक्ष बने और राजनीति में इनका कद बढ़ता चला गया. बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी की पहचान उनकी नीतिगत समझ और संगठनात्मक क्षमता के कारण बनी. उन्होंने लोकसभा में भी भागलपुर का प्रतिनिधित्व किया. सुशील मोदी लंबे समय तक उप मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री रहे.
किशोर कुणाल
किशोर कुणाल भले ही भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी रहे हों लेकिन उनको ज्यादा पहचान समाजसेवा से मिली. भारत सरकार ने उन्हें मरणोपरांत पद्म श्री सम्मान दिया है. कुणाल का धार्मिक और स्वास्थ्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान रहा. 2008 में भगवान महावीर पुरस्कार से सम्मानित कुणाल का 74 साल की उम्र में निधन हो गया था. प्रसिद्ध आध्यात्मिक शख्सियत और पटना महावीर मंदिर न्यास समिति के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने जिस महावीर वात्सल्य अस्पताल को स्थापित किया, वहीं अंतिम सांस ली. मुजफ्फरपुर के एक गांव से पढ़ाई शुरू कर वह न सिर्फ आईपीएस बने, बल्कि आध्यात्मिक जगत में भी ख्याति हासिल की. नीतीश सरकार के मंत्री अशोक चौधरी की बेटी और सांसद शांभवी उनकी बहू हैं.
आचार्य किशोर कुणाल एक कड़क आईपीएस अधिकारी के रूप में हमेशा याद किए जाएंगे. पटना में एसएसपी के रूप में उनके कार्य आज भी याद किए जाते हैं. धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष आचार्य किशोर कुणाल ने बिहार राज्य धार्मिक न्यास परिषद के अध्यक्ष के रूप में मंदिरों में सुधार के लिए अभियान चलाया था. इस दौरान मंदिरों में संगत-पंगत चलाकर समाज में सुधार लाने के लिए उल्लेखनीय प्रयास किए थे. इस अभियान के दौरान उन्होंने कई मंदिरों में दलित पुजारी नियुक्त किए थे.
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