Durga puja 2022: सुपौल जिले में हर्षोल्लास के साथ दुर्गा पूजा का पावन पर्व मनाया जा रहा है. श्रद्धालुओं का उत्साह चरम पर है. रविवार को सप्तमी के अवसर पर प्राण प्रतिष्ठा के बाद श्रद्धालुओं के लिये सभी मंदिरों के पट खोल दिये गये. पट खुलते ही दर्शन व पूजा-अर्चना हेतु मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. इस दौरान माता भगवती के मंदिरों को भव्य रूप से सजाया गया है. रंग-बिरंगे लाइट व लड़ियों के बीच मंदिर की रौनकता अपनी छटा बिखेर रही है.
शहर के गांधी मैदान स्थित सार्वजनिक दुर्गा मंदिर, उत्तर हटखोला रोड स्थित मालगोदाम दुर्गा मंदिर, निराला नगर स्थित बड़ी दुर्गा मंदिर, ग्रामीण इलाकों में बरूआरी, बरैल, परसरमा, सुखपुर आदि जगहों पर माता भगवती की पूजा-अराधना की जा रही है. इस दौरान मंदिर में सुबह शाम आरती व कीर्तन भजन का आयोजन किया जा रहा है. वहीं, वैदिक मंत्रोच्चार से वातावरण भक्तिमय माहौल में व्याप्त है.
श्रद्धालुओं के बीच अलग ही उत्साह कायम है. लोग अपने घरों में कलश स्थापन कर भक्ति में लीन है. अधिकांश लोग 09 दिनों तक फलाहार व्रत कर भगवती की पूजा-अराधना कर रहे हैं. इधर रविवार को नवरात्र के सातवें दिन माता भगवती की सप्तम स्वरूप माता कालरात्रि की अराधना की गई. इस दौरान सुबह से ही सभी मंदिरों में श्रद्धालुओं का आना जारी हो गया. इससे पूर्व शनिवार की शाम बड़ी दुर्गा मंदिर परिसर में बिल्व निमंत्रण व पूजा का आयोजन किया गया. जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए. नवरात्र के आठवें दिन सोमवार को महाष्टमी की पूजा होगी. इस दौरान मंदिरों में महिलाओं द्वारा खोंईछा भी भरा जायेगा. वहीं बड़ी दुर्गा स्थान में छाग बलि भी दी जायेगी.
महासप्तमी के मौके पर निराला नगर स्थित बड़ी दुर्गा मंदिर से पूजा कमेटी द्वारा अहले सुबह महास्नान यात्रा निकाली गई. जिसमें सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया. यात्रा मंदिर परिसर से शुरू होकर शहर के महावीर चौक, स्टेशन चौक होते हुए लोहिया नगर चौक होते हुए गांधी मैदान स्थित तालाब पहुंची. जहां श्रद्धालुओं ने स्नान कर प्रतिमा के प्राण प्रतिष्ठा को लेकर पोखर से मिट्टी निकाल कर दुर्गा स्थान पहुंचे. जिसके बाद पंडितों द्वारा विधि विधान से मां दुर्गा की प्रतिमा सहित अन्य देवी देवताओं की प्रतिमा में प्राण-प्रतिष्ठा किया गया.
नवरात्रि के आठवें दिन भगवती के अष्टम स्वरूप देवी महागौरी की अराधना की जाएगी. आर्चयों ने जानकारी देते बताया कि देवी का यह स्वरूप उनके नाम जैसा ही है. इस रूप में देवी गौर वर्ण का हैम के साथ ही वस्त्र एवं आभूषण भी श्वेत है. जिस कारण इन्हें श्वेताबरी भी कहा जाता है. बताया कि यहां भगवती का वाहन वृषभ रहता है.