Shardiya Navratri: भगवती का आगमन व प्रस्थान होगा हाथी पर, जाने इस वाहन का क्या है शुभ संकेत

शक्ति की अधिष्ठात्री देवी दुर्गा का आगमन एवं प्रस्थान दोनों एक ही वाहन पर हो रहा है. भगवती हाथी पर आयेंगी और इसी वाहन से प्रस्थान भी करेंगी. यह आने वाले वर्ष के लिए शुभ संकेत है. इस वाहन पर आगमन एवं प्रस्थान से जलाधिक्य का योग बनता है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 16, 2022 10:37 PM

दरभंगा: शक्ति की अधिष्ठात्री देवी दुर्गा का आगमन एवं प्रस्थान दोनों एक ही वाहन पर हो रहा है. भगवती हाथी पर आयेंगी और इसी वाहन से प्रस्थान भी करेंगी. यह आने वाले वर्ष के लिए शुभ संकेत है. इस वाहन पर आगमन एवं प्रस्थान से जलाधिक्य का योग बनता है. संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति सह विश्वविद्यालय पंचांग के संपादक ज्योतिष पंडित रामचंद्र झा के अनुसार आने वाले वर्ष में जल की अधिकता रहेगी. वर्षा अधिक होगी. इससे अच्छे कृषि कार्य का योग है. उल्लेखनीय है कि भगवती के आगमन एवं प्रस्थान वाहन से आने वाले वर्ष की दशा-दिशा का योग पता चलता है.

किसी भी तिथि का क्षय नहीं

आगामी 26 सितंबर को कलश स्थापन के साथ शारदीय नवरात्र आरंभ होगा. पं. झा के अनुसार इस वर्ष किसी भी तिथि का क्षय नहीं है. अर्थात नौ दिन शक्ति की देवी की आराधना की जायेगी. दसवें दिन विजया दशमी एवं अपराजिता पूजन के साथ नवरात्र अनुष्ठान संपन्न होगा. भगवती का पट पत्रिका प्रवेश पूजन के साथ दो अक्तूबर के पूर्वाह्न में खुल जायेगा. चार अक्तूबर तक माता का दर्शन-पूजन श्रद्धालु करेंगे. पांच को प्रतिमा का विसर्जन होगा. झा ने बताया कि इस वर्ष विल्वाभिमंत्रण एक अक्तूबर को होगा. यह सांयकाल प्रदोष काल में होता है. सामान्य रूप से शाम पांच से सात बजे के बीच इसे संपन्न कर लेना चाहिए. इसके अगले दिन बेलतोड़ी एवं पत्रिका प्रवेश पूजन की तिथि है. इनसे संबंधित सारे कार्य पूर्वाह्न में किये जाने का विधान है. इसी दिन रात्रि में निशा पूजा भी होगी.

7.30 से नौ बजे तक रहेगा अधपहरा

पंडित झा ने बताया कि कलश स्थापन पूर्वाह्न में होना चाहिए. इस वर्ष पूर्वाह्न 10 बजे तक कलश स्थापन के लिए मुहुर्त्त उत्तम है, लेकिन 7.30 से नौ बजे तक अधपहरा रहेगा. इसलिए इस अवधि को छोड़कर यानी सुबह सात बजे तक एवं नौ बजे के बाद 10 बजे तक कलश स्थापन करना सर्वोत्तम रहेगा. वैसे दोपहर 12 बजे तक निश्चित रूप से कलश स्थापन कर लेना चाहिए. उन्होंने बताया कि सामान्य रूप से भी देवी पूजा पूर्वाह्न में ही आरंभ किया जाना चाहिए.

कलश स्थापन- 26 सितंबर

विल्वाभिमंत्रण – 01 अक्तूबर

बेलतोड़ी एवं निशा पूजा- 02 अक्तूबर

महाष्टमी व्रत एवं संधी पूजन- 03 अक्तूबर

महानवमी व्रत एवं त्रिशुलिनी पूजन- 04 अक्तूबर

विजयादशमी एवं अपराजिता पूजन- 05 अक्तूबर

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