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बिहार का शेखपुरा बन रहा युवाओं का सुसाइड सेंटर, 24 दिनों में 4 आत्महत्याएं, जानें कारण

शेखपुरा जिले में बीते 24 दिनों में युवकों के आत्महत्या का ये चौथा मामला है. लगभग तीन सप्ताह में जहर खा कर और फांसी लगाकर चार युवकों ने आत्महत्या कर ली है. मंगलवार से पहले 13 मार्च को शहर के कच्ची रोड निवासी सुरेंद्र महतो के 26 वर्षीय पुत्र रुपेश कुमार ने फांसी लगा ली थी.

पटना. शेखपुरा जिले में बीते 24 दिनों में युवकों के आत्महत्या का ये चौथा मामला है. लगभग तीन सप्ताह में जहर खा कर और फांसी लगाकर चार युवकों ने आत्महत्या कर ली है. मंगलवार से पहले 13 मार्च को शहर के कच्ची रोड निवासी सुरेंद्र महतो के 26 वर्षीय पुत्र रुपेश कुमार ने फांसी लगा ली थी. युवक पेशे से फोटोग्राफर था. 1 मार्च को शहर के प्रमुख कपड़ा व्यवसायी प्रमोद कुमार के बेटे हर्षित राज ने गले में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. 21 वर्षीय हर्षित बख्तियारपुर के राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज में द्वितीय वर्ष का छात्र था. एक मार्च को ही न्यू प्रोफेसर कॉलोनी में रिटायर्ड सैनिक के बेटे शिवम कुमार ने आत्महत्या की थी.

रिजल्ट में अच्छे नंबर नहीं आने पर दे दी जान

चौथी घटना मंगलवार (21 मार्च) की है. 12वीं के रिजल्ट में सेकेंड डिवीजन देखने के बाद एक छात्र ने अपनी जान दे दी. छात्र शेखपुरा नगर क्षेत्र के कच्ची रोड में रहकर इंटर की तैयारी कर रहा था. लखीसराय के रामचंद्रपुर गांव निवासी गोपाल सिंह के पुत्र राहुल कुमार ने जहर खा कर आत्महत्या करने से पहले सुसाइड नोट भी लिखा है. इसमें उसने परिजनों से माफी मांगी है. इसके साथ ही बड़ा खुलासा भी हुआ है. बताया गया कि मंगलवार को रिजल्ट जारी हुआ और उस दिन रात में उसने जहर खा लिया था. घटना के बाद आनन-फानन में पहुंचे परिजनों ने उसे इलाज के लिए एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया था. अगले दिन बुधवार की सुबह इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई.

क्या कहते हैं आंकड़े

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, 2021 में स्टूडेंट्स की आत्महत्या से होने वाली मौतों की संख्या में 4.5 फीसदी का इजाफा हुआ है. पांच वर्षों में लगातार आत्महत्या के मामले बढ़ रहे हैं. 2020 में 12,526 स्टूडेंट्स की आत्महत्या से मौत हुई, जबकि 2021 में यह संख्या बढ़कर 13,089 हो गई. 2017 और 2019 के बीच देश में हुई कुल आत्महत्याओं में छात्रों के आत्महत्या की हिस्सेदारी 7.40 फीसदी से 7.60 फीसदी रही. यह 2020 में बढ़कर 8.20 फीसदी हो गई. रिपोर्ट से ये भी पता चलता है कि महिला स्टूडेंट्स में आत्महत्या का प्रतिशत पांच साल के निचले स्तर 43.49 प्रतिशत पर था, जबकि पुरुष स्टूडेंट आत्महत्याओं का प्रतिशत कुल स्टूडेंट आत्महत्याओं का 56.51 प्रतिशत था. 2017 में 4711 छात्राओं की आत्महत्या से मौत हुई, जबकि 2021 में इस तरह की मौतों की संख्या बढ़कर 5693 हो गई.

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