भागलपुर में बीते पांच साल में एक भी शेल्टर होम नहीं बनाया जा सका, सड़क पर सोने को विवश हैं मजलूम
Bhagalpur news: मायागंज अस्पताल के सामने स्मार्ट सिटी योजना के तहत लगभग छह करोड़ की लागत से दो मंजिला 100 बेड का नाइट शेल्टर होम बनकर तैयार है. लेकिन इसे अब तक शुरू नहीं कराया जा सका है.
भागलपुर: जिले में कनकनी वाली ठंड शुरू हो गयी है, लेकिन नगर निगम ने शहर के रैन बसेरा को अब तक रहने लायक नहीं बनाया है. गरीब व जरूरतमंदों के लिए बनाये गये रैन बसेरा की हालत बदतर है. इतना ही नहीं कुछ रैन बसेरा की छत इतनी जर्जर है कि कभी भी गिर सकती है. पांच वर्षों में एक भी नया शेल्टर होम नहीं बनाया गया है. इतना ही नहीं शहर के अलग-अलग स्थानों पर बने शेल्टर होम की लोगों को जानकारी भी नहीं है. ऐसे में आश्रयहीन व गरीब सड़क पर सोने को विवश हैं.
घंटाघर समीप रैनबसेरा का छत जर्जर
घंटाघर समीप राधारानी सिन्हा रोड स्थित रैन बसेरा का भवन इतना जर्जर है कि छत कभी भी गिर सकती है. रैन बसेरा में लगा हुआ बेड अस्त-व्यस्त था. यहां केयर टेकर है, लेकिन व्यवस्था ठीक नहीं है. समीप का शौचालय अव्यवस्थित है. यहां पानी की सुविधा नहीं है. कोतवाली थाना के निकट एक रैन बसेरा को कंडम घोषित कर दिया गया है. इससे इसे फंक्शन में रखा गया है.
बरारी रोड व बड़ी खंजरपुर में रैन बसेरा दिखा तैयार
बरारी स्थित बुनकर सेवा केंद्र समीप स्थित रैन बसेरा व बड़ी खंजरपुर बड़गाछ चौक समीप रैन बसेरा की हालत अन्य रैन बसेरा से ठीक है. यह रहने लायक है. स्थानीय लोगों ने बताया कि गंगा पार के रिक्शा-ठेला चालक भागलपुर रोज कमाने आते हैं. वो यहां शरण लेते हैं.
छह वर्षों ही बदतर हो गया 48 लाख से बना तातारपुर रैन बसेरा
छह साल पहले तातारपुर गोदाम स्थित 48 लाख की लागत से बने रैन बसेरा की हालत बदतर हो गयी. शौचालय व दीवार के प्लास्टर उखड़ गये हैं, जैसे यह वर्षों पुराना भवन हो. रैन बसेरा के ग्राउंड फ्लोर को चूना व ब्लीचिंग रखने का गोदाम बना दिया गया है. ऊपरी तल पर धौरेया के तेजनारायण मुर्मू, बौंसी के गोपाल नायक, रजौन के परमानंद समेत छह-सात लोगों ने शरण लिया था. केयर टेकर गुंजा देवी ने बताया कि अभी यहां का शौचालय व पेयजल की सुविधा है. महिला व पुरुष के लिए अलग-अलग रैन बसेरा है.
छह करोड़ का 100 बेड वाला शेल्टर होम तैयार, नहीं कराया जा सका शुरू
मायागंज अस्पताल के सामने स्मार्ट सिटी योजना के तहत लगभग छह करोड़ की लागत से दो मंजिला 100 बेड का नाइट शेल्टर होम बनकर तैयार है. स्मार्ट सिटी के पीआरओ पंकज कुमार ने बताया कि यहां न्यूनतम दर पर लोगों को ठहरने की सुविधा दी जायेगी. दो बेड का कई कमरे हैं. कॉमन रूम में छह बेड व आठ बेड लगे हैं. उन्हाेंने बताया कि इसे नगर निगम को सुपूर्द कर दिया गया है. इसका टेंडर भी हो गया है, लेकिन एजेंसी की तलाश है. इधर नगर निगम के नाइट शेल्टर होम प्रभारी जयप्रकाश यादव ने बताया कि इसे नगर निगम को सुपूर्द नहीं किया गया है.
मायागंज अस्पताल के सामने 25 बेड का अस्थायी रैन बसेरा शुरू
जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय के सामने स्थायी रैन बसेरा को कंडम घोषित करने के बाद यहां अस्थायी रैन बसेरा का शुभारंभ किया गया. रविवार को पहले दिन ही यहां 12 लोग ठहरे. यहां 25 चौकी पर बेड, चादर, कंबल, तकिया व कारपेट की सुविधा दी गयी. रैन बसेरा प्रभारी जयप्रकाश यादव ने बताया कि यह रैन बसेरा 28 फरवरी तक रहेगा. शौचालय के लिए अस्पताल के अंदर सुलभ शौचालय में नि:शुल्क व्यवस्था है. पेयजल के लिए जार की सुविधा दी गयी है.
सालाना 20 लाख होता है खर्च
शहर के अलग-अलग स्थानों पर चल रहे रैन बसेरा में कार्यरत केयर टेकर व मैनेजर के वेतन पर केवल 15 लाख रुपये सालाना खर्च होता है. इसके अलावा पूरे साल इस रैन बसेरा की व्यवस्था पर चार से पांच लाख रुपये खर्च होता है. रैन बसेरा शाखा प्रभारी जयप्रकाश यादव ने बताया कि एक केयर टेकर को 8000 रुपये प्रति माह, जबकि एक मैनेजर 8500 रुपये. चार रैन बसेरा में दो-दो केयर टेकर और एक मैनेजर कार्यरत है, जबकि तातारपुर गोदाम व कटहलबाड़ी रैनबसेरा में तीन-तीन केयर टेकर व एक-एक मैनेजर कार्यरत हैं. यहां पर कार्यरत मैनेजर व केयर टेकर को केवल 15 लाख से अधिक सालाना वेतन मिलता है. इसके अलावा पानी, सफाई व अन्य कार्य पर खर्च होता है.
20 जिलों में आधुनिक रैन बसेरा के लिए मिले थे 3.96 करोड़
राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के तहत नगर विकास विभाग ने 28 दिसंबर 2015 में भागलपुर समेत 20 जिलों में आधुनिक रैन बसेरा के लिए 3.96 करोड़ रुपये आवंटित किये थे. इस मिशन के तहत हर रैन बसेरा को सुसज्जित करने के लिए छह लाख रुपये आवंटित किये गये थे. रैन बसेरा में मच्छरदानी, गद्दा, चौकी, कंबल, पेयजल आदि मूलभूत सुविधा के साथ रात में एक गार्ड नियुक्त किया गया था. रैन बसेरा की साफ-सफाई की जिम्मेवारी नगर निगम की है.