बाढ़ के दौरान विस्थापित लोगों के द्वारा बाढ़ राहत शिविरों में शरण लिया जाता है. राज्य सरकार द्वारा मुख्यमंत्री के राहत कोष से 10 जिलों में सौ स्थायी बाढ़ आश्रय स्थलों का निर्माण हो रहा है. प्रति यूनिट की लागत एक करोड़ रुपया है. 56 बाढ़ आश्रय स्थल का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है. 29 स्थलों पर निर्माण कार्य प्रगति पर है. साथ ही बाढ़ के दौरान जरूरत पड़ने पर आपदा प्रबंधन विभाग ने 28 जिलों को दिशा- निर्देश भेजा है कि आश्रय स्थल का निर्माण कराया जाये, ताकि बाढ़ के दौरान लोगों को परेशानी नहीं हो.अस्थायी आश्रय स्थल की संख्या भी लगभग 150 से अधिक रहेगी, जहां कम्युनिटी किचेन चलाया जायेगा.
बाढ़ से 16 जिलों के 69 प्रखंडों में 417 पंचायतों के अंतर्गत लगभग 4.48 लाख मानव आबादी प्रभावित हुई.वहीं, बाढ़ से लगभग 0.37 लाख पशु भी प्रभावित हुए. विभाग ने जिलों को निर्देश दिया है एसओपी के मुताबिक बाढ़ पूर्व तैयारी कर लें, ताकि बाढ़ के दौरान राहत बचाव कार्य चलाने में परेशानी नहीं हो.
जिलों में बनने वाले आश्रय स्थल के लिए जगह चिह्नित करने का काम पूरा हो गया है. यह सभी स्थल ऊंची जगहों पर बनाये जायेंगे. जहां बाढ़ के दौरान बाढ़ का पानी आश्रय स्थल तक नहीं पहुंच सके. दूसरी ओर, कोरोना की हर गाइडलाइन का पालन भी करने का निर्देश दिया गया है, ताकि बाढ़ राहत-बचाव के दौरान लोगों को अन्य बीमारियों से सुरक्षित रखा जा सके.
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आपदा प्रबंधन विभाग के मुताबिक सुपौल, मधेपुरा, सहरसा, शिवहर, सीतामढ़ी, पूर्वी चंपारण, मुजफ्फरपुर, वैशाली, पश्चिम चंपारण, दरभंगा, समस्तीपुर, पूर्णिया, कटिहार, शेखपुरा, बेगूसराय, लखीसराय, सीवान, खगड़िया, सारण, गोपालगंज, भागलपुर, बक्सर, भोजपुर, पटना, नालंदा, किशनगंज, अररिया, मुंगेर को जोड़ा गया है. इन सभी जिलों में हर साल बाढ़ की आशंका रहती है.