शिवहरः लोकसभा चुनाव-2014 को लेकर राजनीतिक तापमान परवान चढ़ने लगा है. विलासिता के कोमल पंखों पर वैभव की नगरी में विचरण करने वाले नेताजी चिलचिलाती धूप में मतदाताओं के दरवाजे पर दंड बैठक कर रहे हैं. इधर, मतदाताओं के मन में भी नेताजी के लिए तरह-तरह की लहरें उठती हैं और गिरती नजर आ रही हैं.
कोई वोट का बहिष्कार करने का मन बना रहा है तो कोई सोच रहा है कि वोट देने से बचेंगे तो रचेंगे कैसे? बीते सालों में पेट के खातिर काम किया अब देश के खातिर मतदान करेंगे. चुनाव के दौरान नेताजी का स्वच्छ सफेद कोरा कागज जैसा दिल व जीत दर्ज कराने के बाद का जमुनिया रंग सा दिल देख कर मतदान तोल-मोल में जुटे हैं. कल की बात है रामदीन ने भगलू भईया से कहा, भईया आपके बड़का बबुआ की दुल्हिन संध्या में तुलसी चबुतरा पर दियरी जला कर दोनों कर जोड़ लोर बहा कह रही थी कि हे लक्ष्मी मईया मेरे स्वामी को इस चुनाव में नेताजी के नजर-गुजर से बचाना. मतदान का समय आ गया है. उन्हें सद् विवेक देना कि सोच- समझ कर मतदान करें. अपनी मन की पीड़ा को माता के समक्ष व्यक्त करते हुए कराह रही थी. पिछले दिनों अजिया ससुर का निधन हो गया. नेताजी को निमंत्रण भेजा. किंतु यह कह कर टाल गये कि बेटी की शादी का कन्यादान किया है. श्रद्ध कार्यक्रम में भाग नहीं ले सकता हूं.जब छोटका देवर की शादी में निमंत्रण दिया तो नेताजी ने कहा कि डायबीटीज का शिकार हूं. मीठा खाना मना है इसलिए नहीं आ सकता हूं. परसो मेरे घर एक बकरी ने बच्च जना है. नेताजी दल-बल के साथ मेरे घर पहुंचे. कहा दुल्हिनिया नमस्कार. सुना है तुम्हारे बकरी ने बच्च जना है.
बस हालचाल पूछने चले आये हैं. जच्च-बच्च स्वस्थ है न. नेताजी की इस मधुर चिकनी-चुपड़ी वाणी ने मुझे झकझोर दिया. मेरे स्वामी को सोचने-समझने की ताकत देना कि ऐसी बातों से बचे. भईया दुलहिया की बात में दम लगता है. किंतु इस बार के चुनाव में सुना है मालदार पार्टी सब चुनाव लड़ रहा है. बस पैसा लेना है किंतु वोट उसी को देना है, जिसका मन एलाउ करे. रामदीन की बात सुन भगलू ने मुस्कुराते हुए कहा कल की बात है एक साहब को हम पान खिला रहे थे कि इसी बीच उनकी बीबी का बुलावा आया.
उन्होंने मुझसे कहा. भगलू जी मुझे इजाजत दीजिए घर से बीबी का बुलावा आया है. तुम्हीं सोचो मेरे पांच रुपये के एक खिली पान खाने के बाद साहब हमसे इजाजत लेकर बीबी से मिलने घर गये तो नेताजी से दो-चार सौ रुपये लेने के बाद तुम उसको कैसे पचा सकोगे. नेताजी का धन है हाजमोला खाने पर भी हजम नहीं होगा. बस इस बार समझो एवं दूसरों को भी समझाओ. देश बचाओ. देश के खातिर वोट करो और देश गढ़ो. इधर, पुलिस भी काफी सख्त है. पैसा लेने वालों व देने वालों की खैर नहीं. यह वही पुलिस है. सुना था कि अपने जिला के एक थानेदार डकैत से कमीशन लेकर डकैती करवाता था.
पिछले दिनों एक बड़ा साहब के बारे में भी सुगबुगाहट थी कि अपहरण के एक मामले में अपहर्ता से मिल कर अपहृत की फिरौती में से कमीशन खा गये. पर केकर मईया बाघ जनमे जो इस बात को जुबान पर लाये. फुसुर-फुसुर में बात रफा-दफा हो गयी. छोड़िये, पुराने बातें. नये में सब कुछ ठीक चल रहा है. साफ स्वच्छ छवि वाले नेता चुनिये, तभी चैन का वंशी बजाईयेगा. उठो-जागो, तब तक मत रुको, जब तक कि देशभक्त व सबके बारे में सोचने वाला विकास पुरुष वोट देकर चुन न लो. वोट करो-देश गढ़ो.