राष्ट्रहित को ध्यान में रख करें मतदान
शिवहरः क्षेत्रीय दलों के क्षेत्रवाद की राजनीति में जहां राष्ट्रहित गौण होता जा रहा है, वहीं निर्वाचित जनप्रतिनिधि चुनाव जीतने के बाद मतदाताओं की भावनाओं को ताक पर रख कर स्वार्थ की राजनीति में लिप्त हो जाते हैं. इससे मतदाता का विश्वास टूट जाता है और मतदाता मतदान के प्रति उदासीन होते जा रहे हैं. […]
शिवहरः क्षेत्रीय दलों के क्षेत्रवाद की राजनीति में जहां राष्ट्रहित गौण होता जा रहा है, वहीं निर्वाचित जनप्रतिनिधि चुनाव जीतने के बाद मतदाताओं की भावनाओं को ताक पर रख कर स्वार्थ की राजनीति में लिप्त हो जाते हैं. इससे मतदाता का विश्वास टूट जाता है और मतदाता मतदान के प्रति उदासीन होते जा रहे हैं. इससे मतदान के प्रतिशत में गिरावट आ रही है. उक्त बातें प्रोजेक्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय शिवहर के शिक्षकों न मतदान के महत्व परिचर्चा पर कही.
प्राचार्य राम हृदय सिंह का कहना है कि वोट एक संवैधानिक अधिकार है, जिसका प्रयोग हर मतदाता को करना चाहिए. निर्वाचन आयोग इस मामले में गंभीर है, कोई मतदान से वंचित नहीं रहे इसके लिए जागरूकता अभियान चलाये जा रहे हैं. कहा कि, मतदाता को जहां राजनीतिक शिक्षा दी जानी चाहिए, वहीं राजनीतिक पार्टी को भी टिकट बंटवारे में विचार करना चाहिए. आमतौर पर स्थानीय नेता समस्याओं को लेकर सक्रिय रहते हैं, वे लोगों के बीच में रहते हैं. राजनीतिक दल उन्हें टिकट नहीं देती है. वहीं बाहरी नेताओं को चुनाव में उतारती है. ऐसे में मतदाता निर्णय नहीं ले पाते हैं और मतदान के प्रति उदासीन रहते हैं.
संस्कृत शिक्षिका रेणु झा का कहना है कि महिला सशक्तीकरण की बड.ी-बड.ी बातें की जाती है. किंतु जब महिला घर की चौखट से बाहर निकलती है तो पुरुषों पर पुरुष मानसिकता हावी हो जाती है. वे महिला मत को अपनी इच्छा के अनुसार दिलवाना चाहते हैं. इससे महिलाएं मत के प्रति उदासीन हो जाती है. महिला सुरक्षा को लेकर भी निर्वाचित प्रतिनिधि उदासीन रहते हैं. जिससे मतदान प्रतिशत में गिरावट देखने को मिलती है.
विज्ञान शिक्षक अखिलेशेश्वर प्रसाद सिंह का कहना है कि नेता अलग-अलग पार्टी का मुखौटा लगा कर भले ही राजनीति में उतर रहे हो, किंतु सभी की सोच मिलती जुलती है. मतदाता नेता को मुखौटा के अंदर भी पहचानने लगे हैं. जिससे मतदान के प्रति उदासीन रहते हैं. जीत दर्ज करने के बाद सिद्धांत गौण हो जाता है. स्वार्थ हावी हो जाता है. राजनेता को सोच बदलनी होगी. किंतु मतदाता को भी जागरूक करना जरूरी है.
जीव विज्ञान शिक्षक संजय कुमार श्रीवास्तव का कहना है कि विगत 20 वर्षो से गंठबंधन की सरकार बन रही है. क्षेत्रीय पार्टी का बोलबाला हो गया है. जिससे राजनीति में क्षेत्रवाद हावी होता जा रहा है और राष्ट्रहित गौण हो रहा है. जीत दर्ज करने के बाद जनप्रतिनिधि सत्ता एवं स्वार्थ की राजनीति में मतदाता की भावनाओं से खिलवाड. करते हैं. इससे मतदाता अपने को ठगा सा महसूस करता है. संसदीय मर्यादा को कायम रखने के लिए प्रत्याशी के लिए न्यूनतम योग्यता निर्धारण जरूरी है.
भूगोल शिक्षक धीरेंद्र कुमार मिश्र का कहना है कि मतदाताओं को नैतिक व राजनीतिक शिक्षा दी जानी चाहिए. जातिवाद व क्षेत्रवाद से राष्ट्रहित गौण हो रहा है. देश विघटन की ओर बढ. रहा है. ऐसे में शिक्षकों का समग्र विकास जरूरी है.
राजनीति विज्ञान शिक्षक दीपक सिंह का कहना है कि मतदाताओं को मत का प्रयोग सोच समझ कर राष्ट्रहित में ध्यान रख कर करना चाहिए.
इसके अलावा शिक्षक तौफिक आलम, हरिशनंदन सिंह, रवींद्र मिश्र, डॉ कुमारी अलका, मो सेराजुद्दीन का कहना है कि मतदाताओं को सोच समझ कर वोट करना चाहिए. वहीं महिलाओं को शिक्षित करना जरूरी है. शिक्षित महिला अपने अधिकार को समङोगी एवं मतदान के प्रतिशत में वृद्धि होगी.