पंडित दीनदयाल की मनायी गयी जयंती

शिवहर : भारतीय जनता पार्टी शाखा डुमरी कटसरी द्वारा पंडित दीनदयाल उपाध्याय जन्म शताब्दी समारोह लालगढ़ स्थित सामुदायिक भवन में मनाया गया. जिसकी अध्यक्षता मंडल अध्यक्ष प्रदीप कुमार सोनू ने की. मौके उनके जीवनी पर जिला महामंत्री रामकृपाल शर्मा ने प्रकाश डाला. जबकि मंडल अध्यक्ष सोनू ने कहा कि पंडित दीन दयाल ने सनातन विचारधारा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 27, 2017 4:50 AM

शिवहर : भारतीय जनता पार्टी शाखा डुमरी कटसरी द्वारा पंडित दीनदयाल उपाध्याय जन्म शताब्दी समारोह लालगढ़ स्थित सामुदायिक भवन में मनाया गया. जिसकी अध्यक्षता मंडल अध्यक्ष प्रदीप कुमार सोनू ने की.

मौके उनके जीवनी पर जिला महामंत्री रामकृपाल शर्मा ने प्रकाश डाला. जबकि मंडल अध्यक्ष सोनू ने कहा कि पंडित दीन दयाल ने सनातन विचारधारा को युगानुकूल रूप में प्रस्तुत करते हुए देश को एकात्मक मानववाद जैसी प्रगतिशील विचारधारा दी. छात्र जीवन में ही वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सक्रिय कार्यकर्ता हो गये थे.

इस मौके पर भाजपा नेता सत्यनारायण सिंह, जिला मंत्री रवि शंकर सिंह जिला उपाध्यक्ष रामाशंकर सिंह,नवीन कुमार रूपक,सुधीर सिंह, उज्जवल सिंह,राजेश कुमार झा,ब्रजेश झा,मुखिया जी,मनोज सिंह, पिपराही अध्यक्ष धर्मेद्र पाण्डेय समेत सभी भाजपा कार्यकर्ता उपस्थित थे. सभी ने उनके प्रति श्रद्धा के सूमन अर्पित किया.उनके चित्र पर फूल माला चढाया व मिठाइयां बांटी. इस मौके पर शिवहर जनजागरण मंच से नीतेश कुमार टिंचू भी मौजूद रहे. उधर नगर में नगर महामंत्री प्रेम तिवारी के अध्यक्षता में दीन दयाल जयंती समारोह मनाया गया. जिसमें जिला अध्यक्ष ने समाज के अंतिम व्यक्ति तक विकास योजनाओं को पहुंचाने की वकालत की.

वही पंडित जी के आर्दशों को आत्मसात् करने पर बल दिया. उधर जिले के धोबाही गांव में शिवहर ग्रामीण मंडल के अध्यक्ष डॉ रामबहादुर गुप्ता के अध्यक्षता में पंडित दीन दयाल की जयंती समारोह बनायी गयी. जिसमें उनके चित्र पर माल्यार्पण किया गया. वही पिपराही मंडल में मंडल अध्यक्ष धर्मेंद्र पांडेय के अध्यक्षता में पंडित दीन दयाल की जयंती समारोह का आयोजन किया गया. जिसमें मंडल अध्यक्ष श्री पांडेय ने कहा कि वे महान चिंतक व संगठनकर्ता थे.

कहा वे विलक्षण बुद्धि, सरल व्यक्तित्व, बहुमुखी प्रतिभा संपन्न, समतामूलक राजनीति विचारधारा के प्रचारक थे. जनसंघ के राष्ट्रजीवन दर्शन के निर्माता दीनदयाल जी का उद्देश्य स्वतंत्रता के पुर्नरचना के प्रयासों के लिए विशुद्ध भारतीय तत्वदृष्टि प्रदान करना था.

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