दलहन-तेलहन की खेती से बनी रहती है खेतों की उर्वरा शक्ति

शिक्षण सह बीज वितरण शिविर में बोले कृषि वैज्ञानिक पुपरी : कृषि विज्ञान केंद्र बलहा मकसूदन के प्रशिक्षण भवन में कलस्टर योजना के तहत दहलन व तेलहन फसल पर आधारित एक दिवसीय प्रशिक्षण सह बीज वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का उद्घाटन केंद्र के वरीय वैज्ञानिक सह समन्वयक डाॅ रामईश्वर प्रसाद ने दीप […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 18, 2017 6:32 AM

शिक्षण सह बीज वितरण शिविर में बोले कृषि वैज्ञानिक

पुपरी : कृषि विज्ञान केंद्र बलहा मकसूदन के प्रशिक्षण भवन में कलस्टर योजना के तहत दहलन व तेलहन फसल पर आधारित एक दिवसीय प्रशिक्षण सह बीज वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का उद्घाटन केंद्र के वरीय वैज्ञानिक सह समन्वयक डाॅ रामईश्वर प्रसाद ने दीप प्रज्वलित कर किया.

उन्होंने दलहन गुच्छ प्रथम पंक्ति प्रदर्शन के अंतर्गत मंसूर व तेलहन गुच्छ प्रथम पंक्ति प्रदर्शन के अंतर्गत सरसों फसल योजना पर विस्तार से चर्चा की. कहा, अब तक हमारा देश दलहन व तेलहन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो पाया है. इसका क्षेत्रफल कम होता जा रहा है. लिहाजा उत्पादकता में कमी आ रही है. केंद्र के पशु चिकित्सक डाॅ किंकर कुमार ने बताया कि साल में एक दलहन व एक तेलहन की फसल अवश्य लगानी चाहिए ताकि खेतों की उर्वरा शक्ति बनी रहे.

उद्यान वैज्ञानिक मनोहर पंजिकार ने फसल को क्लस्टर में लगाने की सलाह दी. नोडल पदाधिकारी सच्चिदानंद प्रसाद ने मंसूर फसल के अंतर्गत हल – 57 प्रजाति की बोआई 30 नवंबर तक बीज उपचार एफआईआर विधि द्वारा करने की सलाह दी. वहीं, तेलहन फसल के अंतर्गत सरसों आरजीएन – 48 प्रजाति का चुनाव करें. कार्यक्रम में करीब सौ किसानों को बीज प्रदान की गयी.

Next Article

Exit mobile version