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निबंधन कार्यालय आर्थिक दोहन का अड्डा

शिवहरः स्थानीय निबंधन कार्यालय की कार्यशैली से लोगों मे असंतोष की भावना पनपने लगी है. जमीन के मूल्यांकन दर में अप्रत्याशित वृद्धि से हर तबके के लोग हलकान हैं. वहीं विभाग द्वारा क्रेता के आर्थिक दोहन की भी बात सामने आती रहती है. हालांकि, इस तरह के शिकायतों को हर वार रफा-दफा कर दिया जाता […]

शिवहरः स्थानीय निबंधन कार्यालय की कार्यशैली से लोगों मे असंतोष की भावना पनपने लगी है. जमीन के मूल्यांकन दर में अप्रत्याशित वृद्धि से हर तबके के लोग हलकान हैं. वहीं विभाग द्वारा क्रेता के आर्थिक दोहन की भी बात सामने आती रहती है. हालांकि, इस तरह के शिकायतों को हर वार रफा-दफा कर दिया जाता है.

कहा जा रहा है कि कंप्यूटर के जरिये निबंधन की प्रक्रिया शुरू हाने से क्रेता व विक्रेता के अंगूठा का निशान अंकित हो जाता है, जबकि विभाग अलग से स्कैनिंग किये दस्तावेज पर अंगूठा के निशान व हस्ताक्षर किये जाने की प्रक्रिया पूरी करवाता है व इसमें 50 से 100 रुपये की अवैध उगाही की जाती है. सरकारी फी व स्टांप वगैरह का चालान बैंक में जमा किया जाता है. किंतु चालान जमा करने के बाद उसी दिन जमीन की रजिस्ट्री कराने वालों को 100 रुपये सुविधा शुल्क देना पड़ता है. ग्रामीणों ने विभाग द्वारा तालवाना शुल्क लिए जाने पर भी आपत्ति व्यक्त की है.

वहीं, विभागीय निर्देश के अनुसार रजिस्टर्ड एक-दो दिन में दिये जाने का प्रावधान है, किंतु जिला निबंधन कार्यालय इसके लिए एक माह का समय लेता है ताकि जरूरत मंद सुविधा शुल्क जमा कर सकें. इस मामले में 200 से 300 तक बेरोक- टोक लिए जाते हैं. कंप्यूटर पर निबंधन करने वाले ऑपरेटर व दस्तावेज पर निबंधन करने वाले दोनों ऑपरेटर मनमानी करते हैं. इसी प्रकार दस्तावेज के निबंधन करने में विलंब कर भी राशि की उगाही की जाती है.

इसके पीछे कारण है कि विभाग में दबंग बिचौलियों की चांदी कट रही है. मुंह खोलने वाले बिचौलियों के कोपभाजन बनने के डर से खुल कर कुछ कर बोलने में कतराते नजर आये. हालांकि, उनकी आंखों में व्यवस्था को लेकर रोष देखा जा रहा है.

क्या कहते हैं अधिकारी
इस बाबत पूछे जाने पर अवर निबंधक यमुना प्रसाद ने आरोपों को निराधार बताया. कंप्यूटर पर अंगूठा का निशान लेने के बाद पुन: स्केन किये गये दस्तावेज पर निशान के सवाल पर कहा कि मशीन खराब होने की स्थिति में लोगों को कठिनाई न हो, इस लिहाज से उक्त प्रक्रिया अपनायी जाती है.

बैक डेट में हस्ताक्षर
पूर्व सांसद मो अनवारूल हक का कहना है कि अवर निबंधक ही इस सारी शोषण एवं दोहन की प्रक्रिया की जड़ मे है. वे अकसर गायब ही रहते है. कर्मी निबंधन का काम करता है. अवर निबंधक बैक डेट में सिर्फ हस्ताक्षर करते है. जिला प्रशासन को निबंधन कार्यालय की सुधि लेने की फुरसत नहीं है. निबंधन नियमावली को सार्वजनिक किया जाना चाहिए. गरीब तबके के लोग ही आर्थिक दोहन के शिकार होते है.

दोहन का बना है अड्डा
जदयू युवा जिलाध्यक्ष राहुल कुमार सिंह ने कहा कि निबंधन कार्यालय की पूरी व्यवस्था चरमरा गयी है. यह कार्यालय दोहन व शोषण का अड्डा बन गया है. यहां बिचौलियों का बोलबाला हैं. एक-एक पैसा जमा कर जमीन खरीदने वाले गरीब दोहन के शिकार हो रहे हैं. बराबर दोहन के मामले उठते है, जिसे दबा दिया जाता है.

दिनदहाड़े होती है लूट
भाजपा जिलाध्यक्ष धर्मेद्र किशोर मिश्र का कहना है कि निबंधन कार्यालय लूट का अड्डा है. यहां दिनदहाड़े लोगों की जेब इतनी सफाई से काटी जाती है कि इसकी फरियाद भी नहीं कर पाते है. लाइसेंसी कातिब के साथ-साथ गैर लाइसेंसी भी इसमें संलिप्त हैं.

जनप्रतिनिधि हैं जिम्मेदार
जदयू के पूर्व जिलाध्यक्ष उमाशंकर शाही का कहना है कि निबंधन कार्यालय में व्याप्त गड़बड़ी के लिए जनप्रतिनिधि जिम्मेदार हैं. पूरी व्यवस्था चौपट रहने के बावजूद लोग इस व्यवस्था को स्वीकार किये हुए हैं. इसके कारण शक की सूई उनके इर्द-गिर्द घूमती नजर आ रही है. इसमें पारदर्शिता लाना जरूरी है.

गरीब होते हैं ठगी के शिकार
कांग्रेस जिलाध्यक्ष ठाकुर दिवाकर सिंह का कहना है कि मूल्यांकन शुल्क में वृद्धि से लोगों में परेशानी है. वहीं मूल्यांकन की प्रक्रिया नहीं जानने के कारण गरीब एवं अनपढ़ क्रेता ठगी के शिकार हो रहे है और बिचौलियों की चांदी कट रही है. प्रशासन को पैनी नजर रख कार्रवाई करनी चाहिए.

स्केनिंग दस्तावेज पर निशान अनुचित
शिवहर निवासी मुनमुन कुमार का कहना है कि कंप्यूटरीकृत व्यवस्था में स्केनिंग दस्तावेज पर अंगूठा का निशान लेना व्यवस्था की पोल खोल रही है. बताया कि विभाग कई नियमों को ताक पर रख कर काम कर रहा है. इसको लेकर लोगों में आक्रोश है.

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