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बाया गांव में पसरा सन्नाटा
बेला : किसान परिवार से आने वाले 40 वर्षीय लालबाबू की छवि एक सीधे-साधे इनसान की है. पूर्व मुखिया सह पैक्स अध्यक्ष अवधेश प्रसाद, सुरेश बैठा, शिवशरण सिंह व राजकिशोर सिंह समेत अन्य ग्रामीणों ने बताया कि लालबाबू का कभी किसी से बैर नहीं है. वह मिलनसार स्वभाव का है और गांव में सभी के […]
बेला : किसान परिवार से आने वाले 40 वर्षीय लालबाबू की छवि एक सीधे-साधे इनसान की है. पूर्व मुखिया सह पैक्स अध्यक्ष अवधेश प्रसाद, सुरेश बैठा, शिवशरण सिंह व राजकिशोर सिंह समेत अन्य ग्रामीणों ने बताया कि लालबाबू का कभी किसी से बैर नहीं है. वह मिलनसार स्वभाव का है और गांव में सभी के साथ मिलजुल कर रहता है.
लालबाबू के पिता राम लगन सिंह समेत अन्य ग्रामीणों ने बताया कि लालबाबू की पहली शादी परिहार थाना के भवानीपुर गांव में हुई थी. पहली पत्नी से दो पुत्री हुई. जिसकी शादी हो चुकी है. पुत्र नहीं होने पर लालबाबू की दूसरी शादी बथनाहा थाना के बहेरा गांव में रीना देवी के साथ हुई. रीना से दो पुत्री व एक पुत्र है. सभी मिल-जुल कर काफी प्यार के साथ रहते थे. इधर दो-तीन वर्ष से रीना का मानसिक असंतुलन खराब हो गया था. वह विक्षिप्त तरीके से व्यवहार करती थी.
थम नहीं रहे थे आंसू
घटना के बाद दोनों बच्ची के शव को देख कर परिवार वाले विलाप कर रहे थे. लालबाबू व उसके पिता राम लगन सिंह का आंसू थमने का नाम नहीं ले रहा था. रीना की आंखें भी पथरा हुई थी. अपने दोनों बच्चे के शव को देख कर वह भी रो रही थी. उसकी आंखें देख कर ऐसा महसूस हो रहा था, जैसे वह समझ नहीं पा रही हो कि क्या हो गया. किसी अप्रिय घटना की आशंका से आशंकित होकर परिवार वाले रीना को घर के अंदर ले गये. मौत के मुंह से बाहर आये अपने दो वर्षीय पोता अंकेश को दादा राम लगन सिंह अपने सीने से लगाये थे. वह अपनी पोती के मौत से दु:खी थे तो अपने पोता के बच जाने से राहत महसूस कर रहे थे. वहीं लालबाबू की आंखें पथराई हुई थी.
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