पूर्व मुखिया की हत्या

तरियानी, शिवहरःपरम बसंत गांव में वृंदावन पंचायत के पूर्व मुखिया अब्दुल करीम की गोली मार कर हत्या कर दी गयी. अब्दुल करीम होम्योपैथिक के डॉक्टर थे. अब्दुल राजद से जुड़े थे. हत्या के पीछे किसका हाथ है, पता नहीं चल सका है. पहले कहा जा रहा था, माओवादियों ने हत्या की है, लेकिन इसकी पुष्टि […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 17, 2013 3:32 AM

तरियानी, शिवहरःपरम बसंत गांव में वृंदावन पंचायत के पूर्व मुखिया अब्दुल करीम की गोली मार कर हत्या कर दी गयी. अब्दुल करीम होम्योपैथिक के डॉक्टर थे. अब्दुल राजद से जुड़े थे. हत्या के पीछे किसका हाथ है, पता नहीं चल सका है. पहले कहा जा रहा था, माओवादियों ने हत्या की है, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हो सकी. इसके अलावा इस हत्याकांड को जमीन व चुनावी विवाद से भी जोड़ कर देखा जा रहा है.

पुलिस मामले की जांच कर रही है. देर रात मामले में पुलिस ने गांव के ही दो लोगों जावेद व फूलबाबू को गिरफ्तार किया है. जानकारी के मुताबिक, पूर्व मुखिया अब्दुल करीम गुरुवार की रात अपने घर में छत पर सोये थे. रात में लगभग एक बजे 14 से 15 की संख्या में सशस्त्र अपराधी उनके घर पहुंचे. अपराधियों ने हथियार के बल पर अब्दुल करीम के बेटे हामिद रजा व अन्य परिजनों को कब्जे में ले लिया. इसके बाद अब्दुल को सोते में ही गोली मार दी. इससे मौके पर अब्दुल की मौत हो गयी.

इसके बाद अपराधी मौके से चले गये. बाद में अब्दुल के परिजनों ने घटना की सूचना पुलिस को दी. थानाध्यक्ष संजय कुमार ने पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंच कर छानबीन की. मौके से एक जिंदा कारतूस बरामद हुआ है. पुलिस ने अब्दुल करीम के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है.

एसपी हिमांशु शंकर त्रिवेदी ने बताया, प्रथम दृष्टया जमीन विवाद में हत्या प्रतीत होती है. पूर्व मुखिया ने पूर्व में उक्त विवाद को लेकर शिकायत की थी, लेकिन दोनों पक्ष के बीच सुलह हो गया था. अब्दुल के बेटे शाहिद रजा के बयान पर प्राथमिकी दर्ज की गयी है. इसमें ग्रामीण मो अख्तर के अलावा 15 अन्य को आरोपित किया गया है.

अब्दुल के बेटे ने बताया, उसके पिता से दो लाख रुपये की रंगदारी मांगी जा रही थी. जिसका विरोध करने पर 14 जुलाई को दुम्मा के पास हत्या करने की योजना थी, लेकिन उस दिन वह उस रास्ते से वापस नहीं लौटे थे. इस बात की जानकारी बाद में मिली थी. अब्दुल ने मुख्यमंत्री से लेकर एसपी तक को सुरक्षा के लिए आवेदन दिया था. वहीं, अब्दुल की हत्या को चुनावी रंजिश से जोड़ कर भी देखा जा रहा है.

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