बाढ़ की आशंका, दहशत में लोग
वर्ष 1986 से 2007 तक प्रलयकारी बाढ़ की विभीषिका झेल चुके हैं लोग पिपराही : प्रखंड के बेलवा-देवापुर मिसिंग लिंक रोड का निर्माण कार्य बंद होने से जहां बेलवा, इनरवा, नरकटिया गांव के लोगों के चेहरे पर चिंता की लकीरें नजर आने लगी है. वही नेपाल के जलअधिग्रहण क्षेत्र में हो रही बारिश की सूचना […]
वर्ष 1986 से 2007 तक प्रलयकारी बाढ़ की विभीषिका झेल चुके हैं लोग
पिपराही : प्रखंड के बेलवा-देवापुर मिसिंग लिंक रोड का निर्माण कार्य बंद होने से जहां बेलवा, इनरवा, नरकटिया गांव के लोगों के चेहरे पर चिंता की लकीरें नजर आने लगी है. वही नेपाल के जलअधिग्रहण क्षेत्र में हो रही बारिश की सूचना व बाढ़ की संभावित खतरे की आशंका से लोगों में दहशत है.
वर्ष 1986 से 2007 तक प्रलयकारी बाढ़ की विभिषिका झेल चुके क्षेत्र के लोग बाढ़ की कल्पना मात्र से सिहर जाते है. क्योंकि बाढ़ के कारण काफी जानमाल की क्षति हुई थी. लोग विस्थापित जिंदगी जीने को विवस हो गये थे.
गांव का अस्तीत्व समाप्त हो गया था. उजड़े गांव को फिर से बसाया गया. इधर बागमती नदी में नरकटिया के समीप पानी का दबाव है. वही पिछले वर्ष यहां तेज कटाव भी हुआ था. दबाव को कम करने के लिए बोरा में बालु भरकर आठ स्थलों पर विभाग द्वारा कार्य किया गया. ग्रामीणों के अनुसार कटाव व जल दबाव के रोकथाम के लिए लाखो रुपये का वारा न्यारा किया जाता रहा है. किंतु इस दिशा में ठोस पहल नहीं किया जा सका है.
ग्रामीण संजय कुमार मुखिया का कहना है कि एचसीएल कंपनी को करीब 3 करोड़ अग्रीम भुगतान किया गया था. निर्माण के लिए समाग्री व मशीन आदि स्थल पर गिरा दिया गया था. कंपनी ने स्टॉक रूम का बुनियाद भी रखा था.
लोगों में आशा जगी थी कि इस निर्माण से लोगों को जहां आवागमन की समस्या से निजात मिलेगी. वही बांध व स्वील्स गेट निर्माण से बाढ़ की समस्या से भी राहत मिलेगी. किंतु कंपनी ने बोरिया बिस्तर समेट लिया है.
नरकटिया निवासी बासदेव सहनी, रामदयाल सहनी,रामाश्रय सहनी, बेलवा निवासी बैधनाथ साह, पिंटू कुमार का कहना है कि नेपाल में तेज बारिश के कारण बाढ़ आने की संभावना व्यक्त की जाने लगी है. जिससे लोग दहशत में हैं. बांध बन जाता तो राहत मिलती, किंतु कंपनी ने काम बंद कर दिया है. जो चिंता का विषय है.
कहते हैं मुखिया
बेलवा मुखिया रतन मंडल ने कहा कि यह एक ज्वलंत समस्या है. इस ओर डीएम का ध्यान आकृष्ट कराया जायेगा. अति पिछड़े इस गांव के विकास के लिए वे प्रयासरत हैं. शीघ्र ही समस्या का समाधान करा दिया जायेगा.
कहते हैं कार्यपालक अभियंता
बागमती विशेष प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि भूअर्जन की समस्या व बरसात के कारण फिलहाल कार्य बंद कर दिया गया है. जमीन मालिक निर्माण कार्य करने से पहले पैसा मांग रहे थे. हलांकि 8 लाख 28 हजार 400 की अधियाचना भूअर्जन विभाग द्वारा भेजा गया है.
22.9 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया जाना है. इस लिंक मिसिंग रोड का कुछ भाग मोतिहारी क्षेत्र के अंर्तगत आता है. पुरानी धार पर स्वील्स गेट लिंक रोड समेत अन्य काम पर कुल लागत 73.45 करोड़ है. बरसात बाद काम होगा. तब तक भूअर्जन की समस्या का भी समाधान निकल आयेगा.