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युवाओं में बढ़ रहा स्ट्रोक का खतरा : डॉ सुमन

सीतामढ़ी : जीवनशैली में बदलाव के साथ-साथ युवाओं में स्ट्रोक यानी लकवा होने की संभावना तेजी से बढ़ रही है. मानसिक तनाव, धूम्रपान, गुस्सा एवं अलकोहल की बढ़ती लत स्ट्रोक की मुख्य वजह बनती जा रही है. उक्त बातें फिजियो केयर के संस्थापक फिजियो चिकित्सक डॉ राजेश कुमार सुमन ने गुरुवार को विश्व स्ट्रोक दिवस […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 30, 2015 3:42 AM

सीतामढ़ी : जीवनशैली में बदलाव के साथ-साथ युवाओं में स्ट्रोक यानी लकवा होने की संभावना तेजी से बढ़ रही है. मानसिक तनाव, धूम्रपान, गुस्सा एवं अलकोहल की बढ़ती लत स्ट्रोक की मुख्य वजह बनती जा रही है.

उक्त बातें फिजियो केयर के संस्थापक फिजियो चिकित्सक डॉ राजेश कुमार सुमन ने गुरुवार को विश्व स्ट्रोक दिवस के अवसर पर कही. उक्त कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि प्रतिवर्ष भारत में करीब 16 लाख मामले लकवा के आते हैं. जिसमें एक तिहाइ की मौत हो जाती है. एक तिहाइ मरीज इलाज के बाद पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं,

जबकि एक तिहाइ मरीज किसी न किसी प्रकार के शारीरिक अक्षमता के शिकार हो जाते हैं. उच्च रक्तचाप, डायबिटीज, मोटापा से ग्रसित व्यक्ति, मानसिक तनाव, खून में चरबी का बढ़ना वाले रोगियों में लकवा का खतरा बना रहता है. लकवा मस्तिष्क की बीमारी है.

हृदय से मस्तिष्क में खून लाने और ले जानेवाली नलियों में रक्त का धक्का जमने अथवा नस के फटने से रक्तस्त्राव होने की स्थिति में शरीर में लकवा मार जाता है. डॉ सुमन ने कहा कि अलकोहल का सेवन न करने, धूम्रपान से बचाव, संतुलित आहार, एक्सरसाइज रक्तचाप को नियंत्रित रखते हुए वजन पर नियंत्रण रख कर इस रोग से बचा जा सकता है.

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