आज भी नहीं बदली यहां की तस्वीर

शिवहरः आजादी के कई दशक बीत गये, लेकिन मोहर यादव टोला की तसवीर नहीं बदली. यह टोला डुमरी कटसरी प्रखंड में स्थित है. पंचायती राज के गठन के बाद लोगों में आस जगी कि मूलभूत सुविधाएं मिलेगी, लेकिन यह आस पूरी नहीं हुई. गांव के लोग आज भी एक तरह से ढिबरी युग में जीवन-यापन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 17, 2013 4:47 AM

शिवहरः आजादी के कई दशक बीत गये, लेकिन मोहर यादव टोला की तसवीर नहीं बदली. यह टोला डुमरी कटसरी प्रखंड में स्थित है. पंचायती राज के गठन के बाद लोगों में आस जगी कि मूलभूत सुविधाएं मिलेगी, लेकिन यह आस पूरी नहीं हुई. गांव के लोग आज भी एक तरह से ढिबरी युग में जीवन-यापन करने को विवश हैं. इस टोला में गांधी जी के ग्राम्य स्वराज का स्वप्न पूरा नहीं हुआ. ग्रामीण आज भी बेहतर सड़क, शिक्षा, पेयजल व बिजली जैसे बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं. ग्रामीणों के दिलों में तब बिजली सुविधा और कचोटती है जब रात में पास के रामवन, फूलकाहां व मसहा गांव को विद्युत की रोशनी से चकाचौंध होते देखते हैं. संबंधित एजेंसी द्वारा आसपास के गांव में पोल व तार लगाया गया. विद्युत विभाग उक्त गांवों में बिजली सुविधा उपलब्ध करा दी. वहीं मोहर यादव टोला इस सुविधा को तरस रहा है.

ग्रामीण जितेंद्र कुमार, महेश्वर यादव, नरेंद्र कुमार, जीमदार राय व मनोज कुमार कहते हैं कि जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा व प्रशासनिक अनदेखी के कारण उनका टोला बिजली सुविधा के लिए लालायित है. गांव की आबादी करीब 700 है, जिसमें करीब 90 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवन बसर करते हैं. यहां एक उप स्वास्थ्य केंद्र तक नहीं है. मासूम बच्चे सरकार के टीकाकरण कार्यक्रमों के लाभ से वंचित रह जाते हैं.

एएनएम भी इस टोला में दर्शन नहीं देती है. प्रखंड का यह एक ऐसा गांव है जहां न तो एक प्राथमिक विद्यालय है और न हीं कोई दूसरा शिक्षण केंद्र. सरकार शिक्षा के नाम पर हर वर्ष करोड़ों रुपये खर्च करती है और इसी सरकार के अधिकारी इस गांव की वर्षो से उपेक्षा करते आ रहे हैं. हाल यह है कि छोटे-छोटे बच्चों को डेढ़ किलोमीटर पर फूलकाहां या पांच किलोमीटर पर स्थित रामवन मध्य विद्यालय जाना पड़ता है. कई बच्चे तो स्कूल जा भी नहीं पाते हैं और शिक्षा के मुख्य धारा में शामिल होने से वंचित रह जाते हैं. इस गांव के पास से रामवन तक जाने वाली मुख्य सड़क का निर्माण प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत शुरू किया गया. वह भी कच्चीकरण से आगे काम नहीं हुआ. निर्माण लंबित है. ग्रामीणों का कहना है कि संसदीय चुनाव करीब है. सब्जबाग दिखा कर वोट बटोरने वालों को सबक सिखायेंगे.

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