यहां पगडंडी के सहारे रेंगती है जिंदगी

शिवहर/पिपराही : जिले के परसौनी वैज पंचायत स्थित देकुली धर्मपुर टोले सोहरइआ अनुसूचित जाति टोला के लोगों की जिंदगी पगडंडी के सहारे रेंगती है. आजादी के दशकों बाद भी गांव को नसीब नहीं हुआ है. पंचायती राज गठन के बाद भी गांव में गांधी जी के ग्राम्य स्वराज का सपना सकार होता नहीं दिख रहा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 21, 2015 2:21 AM

शिवहर/पिपराही : जिले के परसौनी वैज पंचायत स्थित देकुली धर्मपुर टोले सोहरइआ अनुसूचित जाति टोला के लोगों की जिंदगी पगडंडी के सहारे रेंगती है. आजादी के दशकों बाद भी गांव को नसीब नहीं हुआ है. पंचायती राज गठन के बाद भी गांव में गांधी जी के ग्राम्य स्वराज का सपना सकार होता नहीं दिख रहा है.

देकुली धाम से करीब 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गांव में पगडंडी के सहारे रास्ता तय कर जब प्रभात खबर की टीम इस गांव में पहुंची तो पता चला कि गांव में दुल्हा साइकिल पर सवार होकर कन्या के दरवाजे तक पहुंचता है. मरीज को चारपाइ के सहारे शिवहर-सीतामढ़ी एनएच 104 पथ तक पहुंचाकर अस्पताल ले जाया जाता है.

दुल्हन अपने माइके या ससुराल पगडंडी के सहारे पैदल ही जाती हैं. करीब तीन सौ की आबादी वाले गांव की सुधि लेने के लिए किसी ने जहमत तक नहीं उठाई है.

जनप्रतिनिधि के उपेक्षा व प्रशासनिक अनदेखी से लोग फटेहाल जिंदगी गुजारने को मजबूर हैं. इससे सुशासन की पोल खुलती हुई नजर आ रही है. गांव में प्रवेश करते ही दयनीय स्थिति की कहानी बयां होने लगती है.

ग्रामीण जिया लाल पासवान, गणेश पासवान ने बताया कि उनके पूर्वज मोहरी से यहां आकर बसे हैं. उन्हें बसने के लिए देकुली महंथ, लक्ष्मी भारती व रामजन्म भारती ने जमीन दिया था. बाद में सरकार द्वारा दो डिसमील का परचा दिया गया. जिसपर वे बसे हुये हैं. कहा कि गांव से बाहर निकलने के लिए सड़क नहीं हैं. लोग पगडंडी के सहारे आवागमन करते हैं. उन्होंने कहा कि नेता चुनाव के समय में नेता लोग आकर वादों की झड़ी लगा देते हैं लेकिन उसके बाद गांव में आना शायद मुनासिब नहीं समझते हैं. बाढ़ के दिनों में गांव का रास्ता बंद हो जाता है. पानी के कारण यह गांव टापू में तब्दील हो जाता है.

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