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हल्दी की खेती ने संवार दी जिंदगी

शिवहरः जिले के डुमरी कटसरी प्रखंड के लक्ष्मीनिया गांव के किसान हल्दी व परवल की खेती से जिंदगी सवांर रहे हैं. इस खेती से किसान आर्थिक व हर लिहाज से ठोस हुए हैं. हालांकि विगत दो वर्षो से स्थानीय बाजारों में मांग कम रहने से किसान हल्दी की खेती को कम कर दिये हैं. वहीं […]

शिवहरः जिले के डुमरी कटसरी प्रखंड के लक्ष्मीनिया गांव के किसान हल्दी व परवल की खेती से जिंदगी सवांर रहे हैं. इस खेती से किसान आर्थिक व हर लिहाज से ठोस हुए हैं. हालांकि विगत दो वर्षो से स्थानीय बाजारों में मांग कम रहने से किसान हल्दी की खेती को कम कर दिये हैं. वहीं इस वर्ष सरकार के स्तर से हल्दी बीज उपलब्ध नहीं कराये जाने से भी इसके खेती पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. बावजूद किसानों ने हिम्मत नहीं हारी है. दर्जन से अधिक किसान आज हल्दी की खेती कर अपना आर्थिक स्तर ऊंचा उठा रहे हैं.

बनाया पक्का का मकान

ग्रामीण मुकेश गुप्ता प्रखंड शिक्षक भी हैं. बताते हैं कि एक एकड़ में हल्दी की खेती किये हैं. एक प्रखंड शिक्षक को कितना मानदेय मिलता है, यह सब को मालूम है. इस पैसे से बच्चों की पढ़ाई व परिवार चलाना मुश्किल पड़ रहा था. काफी सोच कर हल्दी की खेती शुरू किये. अच्छी आमदनी होने लगी. घर की माली हालत सुधर गयी. कमाई से पक्का का मकान बनाया है. अब इच्छा है कि बेहतर तालिम के लिए बच्चों को बाहर भेजे.

श्री गुप्ता ने बताया कि इस गांव में आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की संख्या अधिक है. झुग्गी-झोंपड़ी में फटेहाल जिंदगी जी रहे लोग इस गांव की कहानी बयां करने के लिए काफी है. बहुत से किसानों के पास कट्ठा-दो कट्ठा से अधिक जमीन नहीं है. इतनी जमीन में धान व गेहूं की खेती कर जिंदगी संवारना व आर्थिक स्थिति ठीक करना मुश्किल था. गांव के बच्चू सहनी ने सबसे पहले यानी करीब सात वर्ष पूर्व करीब एक एकड़ में प्रयोग के तौर पर हल्दी की खेती शुरू की. उसके बाद वे पीछे मुड़कर नहीं देखे. आमदनी होने लगी. घर की आर्थिक हालत ठीक हुई और बेटी की शादी धूम-धाम से किये. अब गांव में एक नहीं, बल्कि कई बच्चू हल्दी की खेती करते हैं.

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