शिवहरः सुखाड़ की चपेट में फंस कर जिले के किसान कराह रहे हैं और अब रबी की खेती के लिए बैंकों की ओर टकटकी लगाये हुए हैं. वहीं बैंकों की कार्यशैली में अपेक्षित सुधार नहीं हुआ है. फलत: जरूरतमंद किसान केसीसी के लाभ से वंचित हो रहे हैं. वहीं इस योजना में बिचौलियों की चांदी कट रही है. अग्रणी बैंक के सूत्रों की माने तो जिले के 5680 किसानों को केसीसी ऋण का लाभ देने का लक्ष्य है. अब तक मात्र 1289 किसान को ऋण मिल सका है.
सरकार की नहीं सुन रहा बैंक
किसानों को शपथ पत्र के आधार पर भी ऋण मुहैया कराया जा सकता है. राज्य सरकार का भी यही कहना है, लेकिन बैंकों द्वारा किसानों से ‘नो ड्यूज’ का प्रमाण पत्र मांगा जाता है. यहीं पर ऋण मुहैया कराने में पेंच फंस जाता है. यह पेंच बैंकों द्वारा फंसाया जाता है. अंतत: बैंकों में दौड़ते-दौड़ते किसान थक जाते हैं, उन्हें ऋण नहीं मिल पाता है. बाद में यही किसान ऋण के लिए बिचौलियों से संपर्क साधते हैं. किसानों का कैसे आर्थिक शोषण किया जाता है, यह किसी से छुपा नहीं है.
क्या है नो ड्यूज का चक्कर
बताया गया है कि हर बैंकों से नो ड्यूज लेने में किसानों की हर गत गुजर जाती है. ऊपर से पैसे भी खर्च होते हैं. यह प्रमाण पत्र लेने के लिए बैंकों से 51 से 150 रुपये तक का रसीद कटाना पड़ता है. यानी ऋण का लाभ मिलने के पूर्व हीं किसानों का करीब हजार रुपया खर्च हो जाता है. यही नहीं किसानों को एलपीसी लेने में भी खर्च करने पड़ते हैं. बावजूद किसानों को ऋण मिल जायेगी, की गारंटी नहीं रहती है.
20 प्रतिशत तक कमीशन
बताया गया है कि किसान जब बिचौलियों के चंगूल में फंसते हैं तो उनसे ऋण के एवज में 10 से 20 प्रतिशत तक कमीशन वसूला जाता है. भाजपा जिलाध्यक्ष धर्मेद्र किशोर मिश्र कहते हैं कि नो ड्यूज के पेंच में किसानों का समय बरबाद होने के साथ हीं आर्थिक शोषण भी होता है. सभी बैंकों को एक साथ शिविर में नो ड्यूज प्रमाण पत्र देने से किसान बहुत हद तक राहत महसूस करेंगे. इससे भी बेहतर होगा कि बैंक यह सब छोड़ शपथ पत्र पर भी किसानों को ऋण मुहैया कराये.
नेताओं ने दी तीखी प्रतिक्रिया
जदयू के पूर्व जिलाध्यक्ष उमाशंकर शाही कहते हैं कि कुछ बैंकों का कार्य पारदर्शी है, किंतु औसत स्तर पर विचार किया जाये तो बैंकों की कार्यशैली सवालों के घेरे में हैं. युवा जदयू के जिलाध्यक्ष राहुल कुमार सिंह कहते हैं कि बिचौलियों के माध्यम से बैंकों द्वारा केसीसी में 20 प्रतिशत तक कमीशन की वसूली की जाती है. लोजपा जिलाध्यक्ष विजय कुमार पांडेय कहते हैं कि बैंक हीं नहीं, बल्कि शिक्षा व स्वास्थ्य विभाग में भी भ्रष्टाचार चरम पर है. बिचौलियों के सहारे हीं अधिकतर किसानों का ऋण भुगतान होता है.