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‘दाहड़’ और ‘दहाड़’ की दोहरी मार दिखने लगा शिवहर का हाड़
छोटे से शिवहर को इस उम्मीद में जिला बना दिया गया कि इसका तेजी से विकास होगा. हालांिक शिवहर का पिछड़ापन पूरी तरह से दूर तो नहीं हो पाया है लेकिन जिला बनने के बाद िपछले 10 सालों में यहां कई बदलाव हुए हैं. अगर यह बदलाव नहीं हुआ होता तो िजले के हालात अौर […]
छोटे से शिवहर को इस उम्मीद में जिला बना दिया गया कि इसका तेजी से विकास होगा. हालांिक शिवहर का पिछड़ापन पूरी तरह से दूर तो नहीं हो पाया है लेकिन जिला बनने के बाद िपछले 10 सालों में यहां कई बदलाव हुए हैं. अगर यह बदलाव नहीं हुआ होता तो िजले के हालात अौर बदतर होते.
पुष्यमित्र
pushyamitra@prabhatkhabar.in
शिवहर : शिवहर जिला मुख्यालय से 15-16 किमी बेलवा घाट के धूल भरे तटबंध पर मिलते हैं नागेंद्र सहनी. कहते हैं, शिवहर का आदमी कभी अमीर हो सकता है क्या? अब हमको देखिये, बागमती नदी की दाहड़(बाढ़ को स्थानीय भाषा में कहते हैं) ने मेरे घर को चौदह बार भंसाया है. बचपन से लेकर आज तक हम जो भी कमाते हैं, वह घर बनाने में ही खर्चा हो जाता है.58 साल की उम्र में चौदह बार घर खड़ा करना आसान काम नहीं है.
तटबंध से थोड़ी ही दूरी पर बेलवा नरकटिया गांव में जमीन के छोटे से टुकड़े पर फूस के दो झोपड़े हैं. करीने से सजे हुए. पेशे से अमीन नागेंद्र कहते हैं, जानबूझ कर ही ईंट वाला घर नहीं बनाते. क्या पता कब बागमती मैया की निगाह इधर हो जाये और यह पंदरहवां घर भी भंस जाये.
वे अपनी कहानी की शुरुआत 1972 से करते हैं और एक-एक कर बताते हैं कि किस-किस साल में उनका घर बागमती की दाहड़ में विलीन हुआ. कैसे वे इस गांव से उस गांव भटकते रहे, इस उम्मीद में कि वहां बाढ़ नहीं आयेगी. मगर कहीं चैन नहीं मिला. वे उन मशीनों पर टकटकी लगाये हैं, जो इस इलाके में बागमती पर बांध और स्लूइस गेट बनाने के लिए आयी हैं. उन्हें उम्मीद है कि बाढ़ का प्रकोप खत्म हो जायेगा और लोगों को सिंचाई का लाभ भी मिलेगा.
बागमती बरपाती है कहर : 23
10 साल में हुए काम
डुब्बा घाट पुल का निर्माण
पिपराही पुल का निर्माण
केंद्रीय विद्यालय खुला
सौ बेडों के अस्पताल निर्माण की प्रक्रिया तेज
नयी पुलिस लाइन बनी
जेल भवन बना,
जिला अदालत में कामकाज शुरू
उत्क्रमित हाइ स्कूल
प्राथमिक स्कूलों की स्थापना, कई उत्क्रमित भी हुए
डीएम से सीधी बात
प्रति व्यक्ति आय के मामले में सबसे पिछड़ा क्यों है शिवहर?
मनोरंजन की कमी सबसे बड़ी वजह है. मनोरंजन के साधन नहीं हैं तो लोग बच्चे पैदा करके ही अपना मनोरंजन करते हैं.
क्या आपको वाकई यही वजह लगती है?
जी हां, मैं अपनी बात पर अडिग हूं. आपको पता है शिवहर का टीएफआर (टोटल फर्टिलिटी रेट) कितना है? 4.5 है. देश में सबसे अधिक. यानी यहां औसतन लोग चार से पांच बच्चे पैदा करते हैं. अब आबादी बढ़ेगी तो गरीबी भी रहेगी ही.
इसके लिए आप क्या कर रहे हैं?
हम इसके लिए समाहारणालय के पास एक बोटिंग क्लब को विकसित कर रहे हैं. बोटें मंगायी जा रही हैं. इसके अलावा मैं सीएम से शिवहर के लिए स्पेशल पैकेज भी मांगने जा रहा हूं. जिस तरह बिहार को पिछड़ेपन के लिए स्पेशल पैकेज मिल रहा है, शिवहर को भी मिलना चाहिये.
लोग कहते हैं कि बाढ़ के कारण यहां गरीबी है?
हां, यह भी एक वजह है. मगर बेलवा घाट में बांध और स्लूइस गेट बन रहा है. फिर बाढ़ की समस्या खत्म हो जायेगी.
लोग माओवाद की बात भी करते हैं?
शिवहर में झूठ-मूठ का माओवाद का हौवा खड़ा किया गया है. यहां कोई माओवाद नहीं है. हां, चुनाव के वक्त मैं भी माओवाद के नाम पर फौज मंगा लेता हूं.
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