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धू-धू कर जल गया मुबारक

परसौनी : प्रखंड की कठौर पंचायत के शेख टोली गांव में शुक्रवार की रात अगलगी की घटना में 18 वर्षीय मुबारक हुसैन की जल कर मौत हो गयी. उसकी दर्दनाक मौत को उसके चाचा खुरशैद अंसारी ने नजदीक से देखा. उनकी आंखों के सामने अब भी नाच रहा है कि कैसे मुबारक आग से घिरा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 27, 2016 5:06 AM

परसौनी : प्रखंड की कठौर पंचायत के शेख टोली गांव में शुक्रवार की रात अगलगी की घटना में 18 वर्षीय मुबारक हुसैन की जल कर मौत हो गयी. उसकी दर्दनाक मौत को उसके चाचा खुरशैद अंसारी ने नजदीक से देखा. उनकी आंखों के सामने अब भी नाच रहा है कि कैसे मुबारक आग से घिरा हुआ था और देखते हीं देखते आग की लपटें उसे अपनी आगोश में ले लिया. वे चाह कर भी अपने भतीजे को नहीं बचा सके.

तब चाचा भी नहीं बच पाते : मृतक के चाचा खुरशैद अंसारी बताते हैं कि घर में आग लगने पर वह कमरे में सोये भतीजा मुबारक को जगाने गये. तब तक आग की लपटें काफी तेज हो चुकी थी. जगाने की कोशिश किये, पर विफल रहे. आग की लपटें देख वे मुबारक के कमरे में जाने की हिम्मत नहीं जुटा सके और मजबूर हो कर पैर पीछे खींच लेना पड़ा.
उनकी आखों के सामने आग से चारों ओर से घिरा मुबारक बेहोश होकर गिर पड़ा और चंद सेकेंड बाद हीं वह धू-धू कर जलने लगा. उन्हें इसका अफसोस रहेगा कि वे मुबारक को नहीं बचा सके. कहते हैं कि अगर पैर पीछे खीचने में वे अगर एक मिनट भी विलंब करते तो आग से झुलस कर उनकी भी मौत निश्चित थी.
अख्तर की दुनिया हीं उजड़ गयी
मो अख्तर अंसारी बुढ़ापे की जिंदगी ठीक ढ़ंग से जीने के लिए ग्रामीण बैंक से लाख रुपये ऋण लेकर बीड़ी बनाने का काम शुरू किये थे. करीब एक वर्ष से यह काम कर रहे थे.
आग ने मानों उनका सब कुछ खाक कर दिया. बताते हैं कि तीन बोरा यानी डेढ़ क्विंटल बीड़ी का पत्ता, दो बोरा यानी 70 किलो बीड़ी का मसाला व 60 हजार तैयार बीड़ी जल कर खाक हो गया. उक्त सामग्री की कीमत करीब 50 हजार बतायी गयी है. नगद चार हजार व दो साइकिल भी आग की भेंट चढ़ गयी.
तबाही का मंजर नहीं भूलेंगे लोग
अगलगी की उक्त घटना को वर्षों बाद तक वहां के लोग नहीं भूल पायेंगे. दस घरों में जो तबाही मची है, उससे उबरने में परिवार के लोगों को वर्षों लग जायेंगे. तिनका-तिनका जोड़ कर फूस की झोंपड़ी बनाये अग्निपीडि़तों को अब आशियाना खड़ा करने में काफी पापड़ बेलने पड़ेंगे. सभी परिवार अचानक सड़क पर आ गये हैं. सभी की नजरें प्रशासन से मिलने वाली सहायता पर टीकी हुई है.

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