विकास से दूर है मेहतर बस्ती
चोरौत : सरकार द्वारा दलित- महादलितों के विकास की घोषणा तो की जाती है, पर विकास कहां तक हुआ इसका सही तरीके से खोज-खबर नहीं ली जाती है. यही कारण है कि अब भी बहुत सारी दलित-महादलित बस्ती विकास योजना से अछुता है. इसका एक उदाहरण है प्रखंड मुख्यालय स्थित चोरौत पश्चिमी पंचायत के वार्ड […]
चोरौत : सरकार द्वारा दलित- महादलितों के विकास की घोषणा तो की जाती है, पर विकास कहां तक हुआ इसका सही तरीके से खोज-खबर नहीं ली जाती है. यही कारण है कि अब भी बहुत सारी दलित-महादलित बस्ती विकास योजना से अछुता है. इसका एक उदाहरण है
प्रखंड मुख्यालय स्थित चोरौत पश्चिमी पंचायत के वार्ड की मेहतर बस्ती. करीब 25 परिवारों की इस बस्ती में 200 की आबादी गुजर-बसर करती है. यहां आज भी विकास नाम की कोई चीज देखने को नहीं मिलता है. इस बस्ती में न पक्की सड़क है न बिजली. पीने के लिए न शुद्ध पेयजल की व्यवस्था है और न शौचालय की सुविधा. न विद्यालय की व्यवस्था है और न स्वास्थ्य केंद्र.
गंदगी में जीने को विवश
प्रखंड मुख्यालय व एनएच 527-सी के समीप अवस्थित इस बस्ती के लोग गंदगी में जीने को विवश हैं. करीब चार दशक पूर्व आइए पास रघुवीर मेहतर बताते हैं कि वर्षों पूर्व इस मुहल्ला के लिए बनी ईंट सोलिंग सड़क काफी जर्जर हो चुकी है. जगह-जगह गढ़े बने यह सड़क हीं यहां के लोगों के लिए आवागमन का एक मात्र साधन है. दूसरे को स्वच्छता प्रदान करने वाली यह जाति खुद गंदगी में जीने को मजबूर है. यहां बिजली, पानी व शौचालय का सर्वथा अभाव है, पर किसी अधिकारी व जनप्रतिनिधि का इस ओर कोई ध्यान नहीं है.
यहां के लोग अब भी शिक्षा व स्वास्थ्य सुविधा से कोसों दूर है. रघुवीर कहते हैं कि सरकारी नौकरी के आस में चार दशक पार कर गया, पर उनके लिए सरकार के घर में कोई जगह नहीं मिली.
जीतने के बाद भूल जाते हैं
स्थानीय अशोक मेहतर, मनोज मेहतर व राकेश मेहतर समत अन्य ने बताया कि चुनाव ेक समय प्रत्याशी आ कर तरह-तरह की सपनें दिखाते हैं, पर जीतने के बाद भूल जाते हैं. उनलोगों की सुधी लेने वाला कोई नहीं है. खास कर बरसात के समय यहां के लोगों की स्थिति नारकीय हो जाती है. इस बस्ती में आने वाली सड़क पर नाली के गंदे पानी बहने लगते हैं. छोटे-छोटे बच्चे व महिलाएं गिर कर जख्मी हो जाते हैं.
कई को इंदिरा आवास नहीं
बताया कि यहां के लोगों को इंदिरा आवास की राशि तो जरूर मिली, पर राशि कम होने के चलते लोग घर तो बना लिये, पर अब भी कर्ज में डूबे हैं. कुछ परिवार कम राशि के चलते अब भी लाभ से वंचित हैं. यहां के लोग सरकार से सड़क, शिक्षा, बिजली, पानी व स्वास्थ्य सुविधा की आस लगाये बैठे हैं.