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दवा के अभाव से जूझ रहा सदर अस्पताल, खड़ा कर रहा सवाल

शिवहर : जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल में विगत दो माह में दवा का अभाव बना हुआ है. जिससे गरीबी से जूझने वाले मरीजों को काफी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. जीवन रक्षक से लेकर अन्य कई दवाईयां उन्हें बाहर से खरीदनी पड़ रही है. जिससे मरीज हलकान है. वहीं विभाग विभागीय कानूनी […]

शिवहर : जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल में विगत दो माह में दवा का अभाव बना हुआ है. जिससे गरीबी से जूझने वाले मरीजों को काफी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. जीवन रक्षक से लेकर अन्य कई दवाईयां उन्हें बाहर से खरीदनी पड़ रही है. जिससे मरीज हलकान है. वहीं विभाग विभागीय कानूनी पेंच में उलझा दवा खरीदने में विलंब कर रहा है. जिसका सीधा प्रभाव स्वास्थ्य व्यवस्था पर पड़ रहा है.

लोग सदर अस्पताल प्रबंधन के कार्यशैली पर सवाल खड़ा करने लगे हैं. प्रभात खबर की टीम ने जब अस्पताल का जायजा लिया तो बताया गया कि सदर अस्पताल में करीब 51 तरह की दवा की उपलब्धता के विरुद्ध मात्र 18 तरह की दवा उपलब्घ है. आईवी सेट, इंट्रकैट, डीएनएस, कफ सीरफ, गैस की दवा, ऐंटी रैविज वेक्साीन अस्पताल में उपलब्ध नहीं है.मैट्रानिडाजोल, लकवा की दवा पिरासिटाम इंजेक्सन तक अस्पताल में उपलब्ध नहीं है. दमा की दवा डेरीफाईिलन भी उपलब्ध नहीं है. डियूटी पर मौजूद चिकित्सक डॉ अनिल कुमार ने पूछे जाने पर दवा की कमी की बात को स्वीकार किया है.

रोगी कल्याण समिति के वरीय सदस्य डॉ शालिग्राम सिंह ने कहा कि विगत दो माह से दवा के कमी को मरीज क्षेल रहे है. गरीब जो सुलभ चिकित्सा सुविधा के लिए सरकारी अस्पताल में आते है. उन्हें बाहर से दवा खरीदना पड़ रहा है. खाली पॉकेट अस्पताल पहुंचने वाले लोग दवा की अभाव की बात सुनकर बेबसी की आंसू बहाने को लाचार दिख रहे हैं. अस्पताल प्रबंधन विभागीय नियम का हवाला देकर रोगी कल्याण समिति के माध्यम से दवा खरीदने में कतरा रहा है. आम आदमी हलकान है जबकि विभाग कुंभकर्णी निद्रा में सोया है.

कहते है एसीएमओ. एसीएमओ डॉ मेंहदी हसन ने इस बाबत पूछे जाने पर कहा कि दवा का अभाव है. इसको स्वीकार किया जा सकता है. किंतु आभाव का कारण है कि पहले राज्य स्वास्थ्य समिति स्तर से दवा उपलब्ध कराया जाता था. किंतु कतिपय कारणों से दवा वहां से सदर अस्पताल को उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. इधर अस्पताल प्रबंधन दवा खरीदने की विभागीय प्रक्रिया को पूरा करने में जुटा है. जिसके कारण दवा की कमी बनी हुई है.
कहते हैं सिविल सर्जन. सिविल सर्जन विशंभर ठाकुर ने कहा कि करीब 28 लाख की दवा खरीदी गयी है. दवा की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है. दवा का अंतिम खेप आना बाकी है. कुत्ता काटने की दवा पीएचसी स्तर पर उपलब्ध है. कहा कि इंट्रकेट आदि करीब 15 हजार तक की दवा की खरीद हेतु रोगी कल्याण समिति को निर्देश दिया गया है.
कहते हैं विधायक. स्थानीय विधायक शरफुद्दीन ने कहा कि राज्य सरकार इसको लेकर संजीदा है. अप्रैल माह तक दवा की कमी संबंधी समस्या को दूर कर लिया जायेगा.

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