सीतामढ़ी : गरमी की तपिश दिन व दिन बढ़ती जा रही है. भीषण गरमी से हर कोई बेहाल है. मनुष्य का साथ-साथ पशु-पक्षी भी इन दिनों पानी के लिए तरह रहे हैं. शहरी क्षेत्र की बात छोड़ दें और सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रों की बात करें तो पेयजल की गंभीर समस्या हकारण कि जितने भी सरकारी चापाकल लगाये गये हैं, उसमें से अधिकांश खराब पड़ा हुआ है.
इधर, सबसे बुरा हाल पानी टंकी से पेयजल की आपूर्ति का है. प्रभात खबर ने शनिवार को जिले के मात्र चार-पांच प्रखंडों के पानी टंकी का जायजा लिया. यह जानने की कोशिश की गयी कि पानी टंकियों से आम जनता को कितना लाभ मिलता है. जो बातें सामने आयी है, वह कम चौंकाने वाली नहीं है.
लोगों की माने तो पानी टंकी विभागीय अभियंताओं के लिए लूट का एक बेहतर साधन है. बताया कि कैसे अधिकांश पानी टंकी किसी न किसी की लापरवाही के चलते पानी की आपूर्ति न कर एक मजाक बना हुआ है.
यानी भले हीं गरमी से लोग परेशान हो, पर सरकार व पीएचइडी विभाग पर इसका कोई फर्क नहीं पड़ता है. यही कारण है कि पूर्व से ठप पड़े पानी टंकियों को गरमी आ गयी, लेकिन उसे ठीक करा कर पानी की आपूर्ति शुरू नहीं करायी गयी.
पानी टंकी रहना और न रहना एक समान : रून्नीसैदपुर : प्रखंड मुख्यालय में शुद्ध पेयजल आपूर्ति के लिए बना पानी टंकी अपना वजूद खोता जा रहा है. आम लोगों के घरों में शुद्ध पेयजल मुहैया कराने में विफल रहे इस योजना में फिलवक्त 22 स्टैंड पोस्ट बनाये गये हैं, जिसमें अधिकांश में पानी को बंद करने के लिए नल नहीं है. स्टैंड पोस्ट के पाइप से जलापूर्ति चालू रहने पर लगातार जल का बहाव जारी रहता है.
मात्र आठ स्टैंड पोस्ट हीं है, जिसमें नल का सेट लगा है. थाना चौक के समीप सड़क निर्माण के क्रम में जलापूर्ति पाइप फट जाने के कारण जलापूर्ति ठप है. बस पड़ाव, विद्युत अवर प्रमंडल कार्यालय, पुरानी बजार, डाकघर समेत कई रोड ऐसे हैं, जहां एक भी स्टैंड पोस्ट चालू नहीं है.
ऑपरेटर किशोरी ठाकुर ने बताया कि पानी टंकी के मोटर के चेंबर के समीप जमीन पूरी तरह से धंस गया है. यदि अविलंब वहां मिट्टी भराई नहीं करायी गयी तो दुर्घटना की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. फिलहाल जलापूर्ति योजना के तहत यह पानी टंकी चालू तो है, पर अपने उद्देश्यों की पूर्ति में विफल साबित हो रहा है.