सांप्रदायिक सद्भाव को शांति समितियों की भूमिका बढ़ी
डुमरा : सांप्रदायिक सद्भाव बनाये रखने के लिए जिला से लेकर प्रखंड स्तर तक गठित शांति समितियों को पुनर्गठित किया जायेगा़ सरकार ने शांति व्यवस्था बनाये रखने में उक्त समितियों की भूमिका बढ़ा दी है़ सरकार का मानना है कि पूर्व में जारी दिशा- निर्देश एवं मार्गदर्शन के बावजूद विगत वर्षों में राज्य कुछ स्थानों […]
डुमरा : सांप्रदायिक सद्भाव बनाये रखने के लिए जिला से लेकर प्रखंड स्तर तक गठित शांति समितियों को पुनर्गठित किया जायेगा़ सरकार ने शांति व्यवस्था बनाये रखने में उक्त समितियों की भूमिका बढ़ा दी है़ सरकार का मानना है कि पूर्व में जारी दिशा- निर्देश एवं मार्गदर्शन के बावजूद विगत वर्षों में राज्य कुछ स्थानों पर हिंसक सांप्रदायिक घटनाएं हुई है़ इस हालात में शांति समितियों द्वारा सांप्रदायिक सद्भाव बनाये रखने में अधिक कारगर एवं सक्रिय भूमिका निभाने की आवश्यकता है़
समितियों का स्वरूप बदला
गृह विभाग के सरकार के विशेष सचिव जितेंद्र कुमार ने डीएम व एसपी को पत्र भेजा है़ बताया है कि सरकार के स्तर से जिला, अनुमंडल व प्रखंड स्तर पर गठित शांति समितियों को और अधिक सक्रिय बनाने का निर्णय लिया गया है़ इस परिपेक्ष में नये सिरे से तीनों स्तर की समितियों का गठन किया गया है़
जिला शांति समिति के अध्यक्ष डीएम व उपाध्यक्ष एसपी बनाये गये हैं. स्थानीय सांसद, विधायक, विधान पार्षद, नगर परिषद के अध्यक्ष, एडीएम, सभी एसडीओ, डीएसपी उक्त समिति के सदस्य होंगे़ वैसे दल के अध्यक्ष व सचिव भी सदस्य होंगे, जिसका प्रतिनिधित्व राज्य विधानमंडल में हो़ विभिन्न सांप्रदायों के कुल पांत सम्मानित कार्यकर्ता जो सांप्रदायिक सद्भाव के क्षेत्र में कार्य करते हों एवं जिनकी निरपेक्षता स्थापित हो, को सदस्य के रूप में डीएम द्वारा नामित किया जायेगा़
अनुमंडल व प्रखंड स्तरीय समिति
अनुमंडल स्तर पर शांति समिति के अध्यक्ष एसडीओ व डीएसीएलआर सदस्य सचिव होंगे़ नगर निकाय के अध्यक्ष, राजनीतिक दलों के अध्यक्ष व सचिव भी सदस्य होंगे़ एसडीओ वैसे पांच सम्मानित कार्यकर्ता को सदस्य के रूप में नामित करेंगे जो सांप्रदायिक सद्भाव बढ़ाने में कार्यरत हो़
प्रखंड स्तरीय शांति समिति के अध्यक्ष बीडीओ या सीओ होंगे़ सदस्य के रूप में इंस्पेक्टर या थानाध्यक्ष, उस प्रखंड के रहने वाले जिला व अनुमंडलीय शांति समितियों के सभी गैर सरकारी सदस्य, सभी पंचायतों सरपंच शामिल किये जायेंगे़ बीडीओ या सीओ विभिन्न समुदायों के अधिकतम पांच सदस्यों को नामित कर सकेंगे़ हालांकि नामित सदस्यों का नाम दूसरी समिति में शामिल न हो़ उक्त समितियों में व्यवसायी, चिकित्सा व वकालत संघ व पेशे से जुड़े व्यक्तियों व महिलाओं को भी शामिल किया जायेगा़