शिवहरः पूर्व मुख्यमंत्री विंदेश्वरी दूबे के एक आदेश का अनुपालन आज तक नहीं हो सका है. फलत: पिपराही प्रखंड में एक हाइस्कूल को मान्यता मिलने का मामला आज भी लंबित है. लोगों को लगा था कि सुशासन की सरकार में पूर्व सीएम के आदेश का अनुपालन सुनिश्चित कराया जायेगा और यहां प्रोजेक्ट विद्यालय खुल जायेगा, लेकिन विभागीय पेंच में स्कूल का मामला फंसा हुआ है.
जून 87 में आदेश जारी
बताया गया है कि पिपराही प्रखंड के देवनंदन- यदुनंदन उच्च विद्यालय छतौना को प्रोजेक्ट विद्यालय के रूप में उत्क्रमित करने के लिए पूर्व सीएम बिंदेश्चरी दूबे ने अपने 16 जून 87 को लिखित आदेश जारी किया था. तत्कालीन शिक्षा मंत्री अनुग्रह नारायण सिंह की अनुशंसा के आलोक में उक्त आदेश निकला था. शिक्षा सचिव को आदेश का अनुपालन कराना था. परंतु ढाई दशक बाद भी इस विद्यालय को प्रोजेक्ट विद्यालय के रूप में स्वीकृति नहीं मिल सकी है. फलत: बागमती की आंचल में बसे बालिकाओं का भविष्य अंधकार में डूब गया है.
3.70 एकड़ जमीन
एक ओर सरकार पंचायतों में हाई स्कूल खोलने की बात कहती है तो दूसरी ओर उक्त स्कूल के पास 3.70 एकड़ जमीन रहने के बावजूद उसकी सुधी लेने वाला कोई नहीं है. बता दें कि 2 मार्च 87 को तत्कालीन शिक्षा मंत्री अनुग्रह नारायण सिंह ने विद्यालय निर्माण कार्य का शिलान्यास किया था. उसके भवन के लिए तत्कालीन विधान पार्षद नसरूद्दीन हैदर खां ने अपने कोष से 84 हजार रुपया उपलब्ध कराया था. भवन बना और बच्चों को पढ़ाया जाने लगा.
पंजीयन का आदेश
सीतामढ़ी के तत्कालीन डीइओ देव नारायण महतो ने 28 अप्रैल 88 को वार्षिक माध्यमिक परीक्षा में शामिल होने के लिए यहां की छात्रओं का पंजीयन उच्च विद्यालय, सोनौल सुल्तान से कराने का आदेश दिया. बाद में यह प्रक्रिया भी समाप्त हो गयी. 22 जनवरी 94 को प्रतिपक्ष के नेता डॉ जगन्नाथ मिश्र ने माध्यमिक शिक्षा के निदेशक को पत्र भेज उक्त छात्राओं की परेशानी के मद्देनजर विद्यालय को स्वीकृति प्रदान करने का आग्रह किया था.
इन्होंने भी किया आग्रह
विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी पूर्व विदेश राज्य मंत्री हरि किशोर सिंह, पूर्व सांसद सीताराम सिंह व सांसद रामा देवी ने भी इस विद्यालय को स्वीकृति देने का आग्रह किया था.
जिप से प्रस्ताव पारित
उक्त विद्यालय की उपयोगिता को देखते हुए 5 अप्रैल 13 को मान्यता देने संबंधी प्रस्ताव को जिला परिषद की बैठक में भी अनुमोदित किया गया. गत दिन डीएम के जनता दरबार में भी एक आवेदन दिया गया. इससे पूर्व 5 जून 12 को प्राचार्य ध्रूव नारायण सिंह ने शिवहर डीइओ सत्येंद्र प्रसाद यादव को पत्र भेज इस ओर उनका ध्यान आकृष्ट कराया था. साथ हीं डीइओ को हाइकोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए बताया था कि इसी तरह का एक स्कूल सारण जिला के अखरा में है. उक्त विद्यालय को प्रस्वीकृति प्रदान करने का आदेश दिया गया है, जिस पर सरकार की मुहर भी लग गयी है. गत दिन डीएम के जनता दरबार में भी एक आवेदन दिया गया.
इस स्कूल को सरकार से मान्यता नहीं मिल सकी है, पर यह स्कूल हर वर्ष क्षेत्र सैकड़ों छात्राओं का भविष्य बनाता रहा है. छात्राएं पढ़ने जाती है. मैट्रिक की परीक्षा का फॉर्म स्वतंत्र छात्र के रूप में दूसरे स्कूल से भरा जाता है. कुल 18 शिक्षक व कर्मी हैं. भुगतान नहीं मिलता है. सरकार की आस में है कि मान्यता मिलने पर देर से सही लाभ मिलेगा.