शिवहरः मौसम के मिजाज में बदलाव से ठंड में बढ़ोत्तरी हो गयी है. लोग घरों में दुबके नजर आ रहे हैं. सड़कों पर सन्नाटा की स्थिति उत्पन्न होने लगी है. आकाश में बादल के छाये रहने व बारिश से लोग हलकान नजर आ रहे हैं. जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. व्यवसायियों को माने तो वर्षा व ठंड के कारण उनके कारोबार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. बाजारों में खरीदारों की कमी देखी जा रही है. हालांकि ऊनी वस्त्रों की दुकानों पर भीड़ देखी जा रही है.
इधर, बूंदा-बूंदी व ठंड में बढ़ोत्तरी कृषि के लिए हानिकारक साबित हो सकता है. कृषि विज्ञान केंद्र के कार्यक्रम समन्वयक डॉ आरके मंडल ने बताया कि आकाश में बादल छाने से एवं ठंड में वृद्धि के कारण आलू में झूलसा रोग लगने की संभावना बढ़ जाती है. वहीं राई, सरसों व तोड़ी की फसल लाही के गिरने से प्रभावित होती है. उन्होंने कहा कि इस तरह की स्थिति जिले में देखने को मिल रही है.
कहा, झुलसा रोग से बचाव के लिए आलू में मेनकाजोल व रेडाबिन नामक दवा का छिड़काव की जा सकती है. वहीं इंडो सल्फान व मेरम्लोरोफिड नामक दवा का छिड़काव कर तेलहन फसलों को लाही से बचाया जा सकता है. डॉ मंडल ने मक्का व गेंहू फसल की सिंचाई करना आवश्यक बताया है. बताया कि वर्षा मक्का व गेंहू फसल के लिए लाभकारी है, लेकिन तापमान कम होना नुकसानदेह है. ऐसी हालत में सिंचाई जरूरी है. इससे ठंडक का असर गेंहू व मक्का की फसलों पर कम होगा.