हृदय के संगीत की तरह है ईद : हाजी
पुपरी : ईद इनसान को इनसान बनाने का एक जरिया है. ये रमजान नहीं, रब जान है. यानी खुदा को जानने का और उसके करीब रहने का वक्त है. इस त्योहार में मुसलिम भाई जन्नत के तौर पर अपनी कमाई का चार प्रतिशत निकाल कर दूसरे के लिए दान करता है. लिहाजा स्पष्ट प्रदर्शित होता […]
पुपरी : ईद इनसान को इनसान बनाने का एक जरिया है. ये रमजान नहीं, रब जान है. यानी खुदा को जानने का और उसके करीब रहने का वक्त है.
इस त्योहार में मुसलिम भाई जन्नत के तौर पर अपनी कमाई का चार प्रतिशत निकाल कर दूसरे के लिए दान करता है. लिहाजा स्पष्ट प्रदर्शित होता है कि यह त्योहार इनसान को इनसान बनाने व खुदा को करीब पहुंचाने का त्योहार है. हाजी मोहम्मद साकिर हुसैन व मो खालिद हासमी ने बताया कि सच मायने में ईद हृदय का एक संगीत है, जिसको जरूरत है सिर्फ छेड़ने व जानने की. रमजान महीने के पूरे 30 या 29 रोजे रखने के बाद ईद का त्योहार मनाया जाता है. इस्लाम धर्म के अनुसार 12 महीने में सबसे पवित्र महीना रमजान का होता है.
इस महीनें में मुसलमान भाई सूर्योदय से सूर्यास्त तक उपवास करते हैं. सूर्यास्त के समय रोजा इफ्तार कर उपवा तोड़ते हैं. रमजान में रोजा रखने, नमाज पढ़ने व तराबीह पढ़ने आदि सबका अलग-अलग महत्व बताया गया है.
70 गुण अधिक लाभ : ऐसी मान्यता है कि अन्य दिनों की अपेक्षा रमजान में किये गये पुण्य कार्य का 70 गुणा अधिक लाभ मिलता है. इस्लाम धर्म के अनुसार, पवित्र कुरान शरीफ रमजान के महीने में ही अल्लाह ताला की तरफ से पैगंबर मुहम्मद साहब को दिया गया है. कुरान शरीफ जो एक आसमानी किताब है, जिसमें रमजान के महीने में दुनिया में उतारे जाने के उपलक्ष्य में ही रमजान के महीने का अत्यधिक महत्व दिया जाता है. पैगंबर मुहम्मद साहब ने इस महीने में लोगों को अधिक से अधिक रोजा रखने, फितरा देना, नमाज पढ़ने व पुण्य कार्य करने का आह्वान किया है.
रात में पढ़ा जता है विशेष नमाज : रमजान के महीने में रातों में विशेष नमाज का आयोजन किया जाता है, जिसे तराबीह कहा जाता है. बताया गया है कि तराबीह में नमाज के साथ इमाम साहब पूरे कुरान शरीफ का पाठ करते है और पीछे नमाज पढ़ने वाले सुनते हैं. रमजान के महीने में जुम्मे की नमाज की भी विशेष महत्व होता है और इसे लोग छोटी ईद के तौर पर मानते हैं. रमजान के आखिरी जुम्मा को, जिसे जुमातुल विदा कहा जाता है. इस दिन विशेष तौर पर छोटी ईद का आयोजन किया जायेगा, जिसे रमजान के विदा होने का आभास होता है. इस महीने में अधिक से अधिक दान करते हैं. रमजान में फितरा भी निकाला जाता है. ताकि गरीब व लाचार लोग ईद मना पाते हैं.