शेखपुरा : बिहार के शेखपुरा में जीआरपी के हाथों एकबार फिर से मानवता शर्मसार हुई है. एक अज्ञात महिला के शव को ठेले पर पांच किलोमीटर दूर ढोकर स्थानीय मुरारपुर गांव स्थित टाटी नदी के किनारे दफना दिया. इसके पूर्व जीआरपी ने शव को शेखपुरा रेलवे स्टेशन पर लोहे के खम्भे में शव को कुत्ते और बिल्ली से बचने के लिए टांग दिया था. जीआरपी पुलिस का कारनामा देखने के लिए यात्रियों की भीड़ लग गयी. कई लोगों नेजीआरपी के इस कारनामे का विरोध भी किया लेकिन फिर भी उनकी इंसानियत नहीं जाग सकी.
जानकारी के मुताबिक बीते शुक्रवार की देर शाम को गया-किउल पैसेंजर सवारी गाड़ी से जीआरपी पुलिस ने एक 65 वर्षीय महिला का शव उतारा था. जिसके बाद उस शव को शेखपुरा के सदर अस्पताल में पोस्टमार्टम कराया गया. उसे ठेला पर लादकर उसके शव को शहर से लगभगपांच किलोमीटर दूर मुरारपुर गांव स्थित टाटी नदी के किनारे दफनाया गया.
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इस पूरे घटनाक्रमको लेकर लोग मानवता शर्मसार करने वाले पर सवाल खड़े कर रहेहै. लोगों ने साफ लहजे में कहा कि जीआरपी के द्वारा दोहराए गये इस घटना में जिम्मेवार कौन होगा. जबकि सदर अस्पताल में शव वाहन भी उपलब्ध था इसके बाद भी इस अमानवीय घटना को क्यों अंजाम दिया गया. दरअसल, अज्ञात शव की बरामदगी केबाद उसकी पहचान के लिए 72 घंटे तक रखना अनिवार्य है. इसी वजह से शव को रविवार के दिन ही पोस्टमार्टम केबाद दफनाने की करवाई की जा सकी.
ज्ञात हो कि इसके पूर्व शेखपुरा रेलवे स्टेशन पर एक माहिला का ही शव को सुरक्षित रूप से रखने के नाम पर खंभे में लटका दिया था. इस मामले में रेल के वरीय अधिकारीयों ने जिम्मेवार पुलिस अधिकारी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर जांच की कार्रवाई की थी.ताजेमामले को लेकर शेखपुरा जीआरपी के एएसआइ मुन्ना प्रसाद यादव ने पत्रकारों को बताया कि शेखपुरा प्लेटफार्म पर शुक्रवार की देर शाम को शव को उतारा गया था. इसके बाद पोस्टमार्टम कराकर शव को दफनाया गया है, चूंकि ज्यादा समय होने के कारण शव से बदबू आ रहा था. इसके लिए शव को दफनाया गया है. चूंकि सरकार द्वारा जीआरपी को कोई शव वाहन नही उपलब्ध कराया गया है. जिसके कारण खुद अपना रुपया खर्च कर मजदूर से दफनाया गया. उन्होंने कहा कि शव देखने से ऐसा प्रतीत होता है कि वह किसी भिक्षुक का है.
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