VIDEO : बिहार के शेखपुरा में रोजगार के लिए बड़ी स्टोन कंपनियों के कारोबार को ठप करेंगे मजदूर

रंजीत कुमार शेखपुरा: जिलेकी खेती बाड़ी में भारी नुकसान, पत्थर उद्योग की नयी नीति में बड़ी कंपनियों के निवेश से बेरोजगार हुए हजारों मजदूरों ने अपने रोजगार के हक के लिए गोलबंदीकरना शुरू कर दिया है. मजदूरों की यह गोलबंदी कारे पंचायत से शुरू हुई है, जहां लगभग आधे दर्जन बड़ी और बाहरी कंपनियां पत्थर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 23, 2017 4:16 PM

रंजीत कुमार

शेखपुरा: जिलेकी खेती बाड़ी में भारी नुकसान, पत्थर उद्योग की नयी नीति में बड़ी कंपनियों के निवेश से बेरोजगार हुए हजारों मजदूरों ने अपने रोजगार के हक के लिए गोलबंदीकरना शुरू कर दिया है. मजदूरों की यह गोलबंदी कारे पंचायत से शुरू हुई है, जहां लगभग आधे दर्जन बड़ी और बाहरी कंपनियां पत्थर उत्खनन का काम कर रही है. दरअसल, रोजगार की मांग कर रहे इन मजदूरों ने जो सवाल खड़े किये हैं, उनमें जिले की खनन विभाग और जिला प्रशासन के समक्ष भी बड़ी चुनौती रखी है.

रोजगार की मांग कर रहे मजदूरों ने साफ लहजे में कहा कि राज्य सरकार ने बड़ी कंपनियों को पहाड़ी भू-खंड उपलब्ध कराने के समय यह शर्त रखा था कि यहां पत्थर उत्खनन के कार्य में मशीनरी के साथ-साथ कम से कम 50 मजदूरों की भागीदारी हो, लेकिन यहां पर काम कर रही बड़ी कंपनियां इन शर्तों का पालन नहीं कर रही हैं. ऐसी स्थिति में पिछले कई माह से बेरोजगारी की मार झेल रहे कारे पंचायत के लगभग 5 हजार मजदूरों ने रोजगार पाने के लिए गोलबंदी शुरू कर दी है.

क्या है मजदूरों की हालत
कारे पंचायत के सुदासपुर गांव की सुमित्रा देवी एवं लाखपति देवी कहती हैं कि इलाके में फिलहाल कोई रोजगार का साधन ही नहीं दिख रहा. इसके पहले कभी भी बेरोजगारी की स्थिति हुई, तो दूसरे राज्यों में ईंट भट्ठों पर भी काम कर ले लेते थे. लेकिन, अब वह भी सुरक्षित नहीं रहा. ईंट भट्ठों पर काम करनेवाले मजदूरों की हत्या कर लाश को भी लापता कर दिया जाता है. ऐसी स्थिति में जहां तक शेखपुरा की बात करें तो यहां प्याज की खेती में कृषकों को बाजार भाव के कारण भारी नुकसान का सामना करना पड़ा. इससे किसान भी खेती करने का हिम्मत नहीं जुटा रहे.

इतना ही नहीं पंचायत में आधे दर्जन बड़ी स्टोन कंपनियां के क्रेशरों के संचालन से पंचायत के हजारों एकड़ जमीन बंजर हो गये. ऐसी स्थिति में खेतीबाड़ी का भी कोई विकल्प नहीं मिल रहा है. ऊपर से यहां पत्थर का कारोबार भी बड़ी कंपनियों के हाथों में दे दिया गया. बड़ी कंपनियां भी विभाग द्वारा निर्धारित मापदंडों का पालन नहीं कर रहे. मजदूरों की भागीदारी ना के बराबर होने से यहां हजारों मजदूर हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं. ऐसी परिस्थिति में पत्थर उत्खनन में ही अपना रोजगार सुनिश्चित कराने की दिशा में मजदूरों ने गोलबंदी शुरू कर दी है.

माइनिंग प्लान के लिए क्या है नियमावली
जिले में पत्थर उत्खनन कार्य के लिए नयी नीति के तहत बड़ी एवं बाहरी कंपनियों को 12 एकड़ पहाड़ी की प्रति भू-खंड बंदोबस्ती करायी गयी है. ऐसी स्थिति में नियमावली पर अगर नजर डालें, तो पांच सालों की सूची अवधि में लगभग 4.5 लाख एमक्यू पत्थर का उत्खनन करना है. साल के 365 दिनों में मात्र 295 दिन ही पत्थर उत्खनन का कार्य दिन के उजाले में ही करना है. पत्थर उत्खनन कार्य के लिए प्रत्येक कंपनियों को कम से कम 50 मजदूरों की भागीदारी सुनिश्चित करनी है. इसके साथ ही पर्यावरण मापदंडों का पालन करने के लिए पहाड़ी भू-खंडों में ग्रीन बेल्ट एरिया डेवलप करने के लिए पौधरोपण, प्लांट के समक्ष पानी के फव्वारे की व्यवस्था करना है. इतना ही नहीं पत्थर उत्खनन कार्य के लिए लगाये गये मजदूरों को सुरक्षा एवं प्रारंभिक उपचार से जुड़़े कई महत्वपूर्ण साधन भी मुहैया कराना है.

क्या कहते हैं मजदूर
जिले में बेरोजगारी का आलम झेल रहे पत्थर मजदूरों में सूदशपुर गांव के सुमित्रा देवी, लाखपति देवी, सविता देवी, जयंती देवी, फुलवा देवी, श्रद्धा देवी समेत अन्य मजदूरों ने कहा कि पहाड़ी भू-खंडों में विभागीय मापदंड के मुताबिक अगर मजदूरों की भागीदारी सुनिश्चित कर रोजगार नहीं दिया गया, तब एक सप्ताह के अंदर सारे पहाड़ी भू-खंडों में संचालित कंपनियों के प्लांटों का आवागमन को ठप कर दिया जाएगा. रास्ते को क्षतिग्रस्त कर उत्खनन कार्य बाधित करने के साथ-साथ कंपनियों का भी चक्का जाम कर दिया जायेगा.

क्या कहते है अधिकारी
माइनिंग प्रवधान में अगर मजदूर रखने का नियम है, तो उसकी समीक्षा कर अक्षर सह पालन किया जायेगा. लंबे समय से जिला खनन अधिकारी का पद रिक्त रहने से कुछ त्रुटियां हुई होगी. इसे अविलंब पालन किया जायेगा.

ज्ञान प्रकाश, जिला खनिज विकास पदाधिकारी, शेखपुरा

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