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बिहार : चिकित्सक और कर्मी के अभाव में घायल का नहीं हो सका इलाज, अस्पताल के दरवाजे पर ही मरीज की हुई मौत

शेखपुरा : प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अरियरी में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गयी है. सोमवार की अहले सुबह हुई सड़क हादसे में जख्मी मरीज को स्थानीय लोग फरपर के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराने पहुंचे. अस्पताल पहुंचने पर वहां ना तो चिकित्सक ने थे और ना ही स्वास्थ्य कर्मी. स्थिति और भी भयवाह तब हो गयी, जब […]

शेखपुरा : प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अरियरी में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गयी है. सोमवार की अहले सुबह हुई सड़क हादसे में जख्मी मरीज को स्थानीय लोग फरपर के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराने पहुंचे. अस्पताल पहुंचने पर वहां ना तो चिकित्सक ने थे और ना ही स्वास्थ्य कर्मी. स्थिति और भी भयवाह तब हो गयी, जब वहां गंभीर अवस्था में जीवन रक्षा के लिए तड़पता मरीज सदर अस्पताल पहुंचने के लिए एंबुलेन्स भी नहीं मिल सका. आखिरकार करीब दो घंटे बाद पीएचसी के दरवाजे पर ही मरीज ने दम तोड़ दिया. मृतक अरियरी प्रखंड के फरपर गांव निवासी किशुन चौहान का पुत्र रामदेव चौहान बताया जाता हैं.

जानकारी के मुताबिक, सोमवार की सुबह करीब 6:30 बजे फरपर मोड़ के समीप बाइक से जाने के क्रम में रामदेव हादसे के शिकार हो गया. घटना के बाद रामदेव को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अरियरी ले जाया गया. अस्पताल में वहां कोई डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मी मौजूद नहीं था. स्थानीय लोगों ने मरीज के इलाज के लिए पूरे अस्पताल भवन की खाक छान ली. लेकिन, इलाज करने अथवा डॉक्टर बुलानेवाला कर्मी भी अस्पताल में मौजूद नहीं था. ऐसी परिस्थिति में मरीज को सदर अस्पताल लाने के लिए एंबुलेन्स की खोज भी शुरू की गयी. लेकिन, वह भी नहीं मिल सका. मौके पर आक्रोशित ग्रामीणों ने पहले शेखपुरा – महुलीड़क मार्ग को बाधित कर दिया. इसके बाद मरीज की मौत की खबर सुनकर लोग अस्पताल पहुंच गये और वहां जमकर हंगामा किया. समाचार लिखे जाने तक कोई चिकित्सक और अधिकारी मौके पर नहीं पहुंच सके थे.

स्थानीय ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अधिकारी पिछले कई वर्षों से चिकित्सक की लापरवाही का यह सिलसिला जारी है. इस स्थिति को लेकर कई बार अधिकारियों से गुहार लगायी गयी, लेकिन स्थितियों में कोई सुधार नहीं हो रहा. बड़ी बात किया है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी से शिकायत करने पर स्थानीय लोगों को ही झूठे मुकदमे में फंसाने की धमकी दी जाती है. स्थानीय लोगों ने बताया कि चिकित्सा प्रभारी खुद अस्पताल से फरार रहते हैं. अस्पताल में जबकि आवासीय सुविधा चिकित्सकों को उपलब्ध कराया गया है. फिर भी यहां नहीं रहना एक बड़ी लापरवाही है. इस घटना को लेकर निषाद महासंघ के जिलाध्यक्ष पप्पू चौहान ने उच्चस्तरीय जांच का मांग की है. उन्होंने कहा कि अगर दोषियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई नहीं होने पर निषाद संघ सड़कों पर उतर कर आंदोलन करने को मजबूर होगा.

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