शेखपुरा : पिछले पांच सालों से रेप पीड़िता के परिवार को प्रताड़ित किया जा रहा है. दबंगों की प्रताड़ना से तंग आकर पीड़ित परिवार गांव छोड़ना चाह रहा है. प्रताड़ना से तंग आकर पीड़ित परिजनों ने चार दिन पहले एसपी से मिलकर गुहार लगायी थी. परिजनों ने कहा कि हमलोग गांव छोड़ना चाहते हैं, लेकिन आरोपित जाने नहीं देते हैं.
एसपी को दिये आवेदन में पीड़ित परिवार ने कहा कि गांव से सुरक्षित बाहर निकलने के लिए पुलिस मदद करे. एसपी ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए शेखोपुरसराय पुलिस को निर्देश दिया कि पीड़ित परिवार को गांव से सुरक्षित निकालें. इसके बाद शेखोपुरसराय पुलिस गांव पहुंची. पीड़ित परिवार घरेलू सामग्री लेकर गांव से निकलने लगे, लेकिन आरोपितों ने पीड़ितों को पुलिस की गाड़ी से खींच लिया. इतना ही नहीं बदमाशों ने सामान भी लूट लिया और पुलिस मूकदर्शक बनी रही. मामला शेखोपुरसराय प्रखंड के स्थन्ना गांव का है. हालांकि, पीड़ित बच्ची व उसकी दादी पहले ही गांव छोड़ चुकी है. अब गांव में सिर्फ पीड़ित बच्ची के माता-पिता रहते हैं.
एसपी से फिर लगायी फरियाद
पुलिस के सामने सामान लूटने और पुलिस की गाड़ी से उतारने की घटना के बाद मंगलवार को एक बार फिर पीड़ित परिजन एसपी से मिलने पहुंचे और आवेदन देकर गुहार लगायी. पीड़ितों ने एसपी कार्यालय के सुरक्षाकर्मियों को फरियाद सुनायी, लेकिन उन्होंने टाल दिया. इसके बाद उन्होंने एसपी के मोबाइल पर इसकी जानकारी दी. एसपी ने एक आवेदन देने को कहा. पीड़ित परिजनों ने कहा कि आरोपितों के आगे स्थानीय पुलिस भी विवश दिख रही है.
2013 का है मामला, पुलिस हिरासत से भाग गया था एक आरोपित
2013 में दादी के साथ सोयी सात वर्षीया बच्ची के साथ दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया गया था. इस मामले में लल्ला पासवान और हीरा पासवान को आरोपित किया गया था. पुलिस ने मौके पर से आरोपित लल्ला पासवान को गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन मुंगेर में वह पुलिस हिरासत से भाग गया और अब तक फरार है. पुलिस की नजर में फरार आरोपित गांव आता है और पीड़ित परिजनों को धमकाता है. इतना ही नहीं, चार साल पहले पीड़ित परिवार के घर में वैवाहिक कार्यक्रम चल रहा था. इसी दौरान उसके घर में तोड़फोड़ मचायी गयी थी.
एसपी बोले देंगे सुरक्षा
शेखपुरा के एसपी दयाशंकर ने कहा है कि दुष्कर्म पीड़िता के परिजनों ने ग्रामीणों के विरुद्ध अलग-अलग प्राथमिकियां दर्ज करायी हैं. ऐसी स्थिति में पीड़ित परिवार के गांव छोड़ने के फैसले से लोग पुनः किसी मुकदमे से भयभीत हैं. स्थानीय थानाध्यक्ष को निर्देशित किया गया है कि गांव में कुछ लोगों की कमेटी गठित कर शांतिपूर्वक सुरक्षा प्रदान करते हुए पीड़ित परिवार को घर खाली कर उनकी इच्छा से चयनित स्थान के लिए रवाना किया जाये.