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शेखपुरा : एसबीआई ने शेखपुरा नप को लौटाये ‍10.63 लाख, क्लोन चेक बनाकर मुंबई में की गयी थी निकासी

रंजीत कुमार शेखपुरा : जनवरी, 2018 में क्लोन चेक से नगर पर्षद के सरकारी खाते से 10 लाख 63 हजार रुपये की निकासी मामले में बैंक ने राशि नगर पर्षद को लौटा दी है. हालांकि, इस मामले में प्राथमिकी के बावजूद अब तक अभियुक्तों की गिरफ्तारी और पैसे की रिकवरी नहीं हो सकी है. जिस […]

रंजीत कुमार
शेखपुरा : जनवरी, 2018 में क्लोन चेक से नगर पर्षद के सरकारी खाते से 10 लाख 63 हजार रुपये की निकासी मामले में बैंक ने राशि नगर पर्षद को लौटा दी है.
हालांकि, इस मामले में प्राथमिकी के बावजूद अब तक अभियुक्तों की गिरफ्तारी और पैसे की रिकवरी नहीं हो सकी है. जिस राशि की फर्जी निकासी हुई, वह नगर पर्षद के 13वें वित्त आयोग मद की थी. इस मामले में पूरी तरह बैंक प्रबंधन की लापरवाही सामने आयी थी. वहीं, राशि लौटाये जाने की पुष्टि शेखपुरा के चांदनी चौक स्थित एसबीआई मुख्य शाखा के चीफ मैनेजर संजीव कुमार ने की है.
क्या है प्रावधान
एसबीआई की मुख्य शाखा के चीफ मैनेजर संजीव कुमार ने बताया कि बैंक खाते से फर्जी निकासी में अगर बैंक की जिम्मेदारी तय हो जाये तो रकम पीड़ित खाताधारकों को लौटाये जाने का प्रावधान है. इसमें बैंक प्रबंधन अपनी अंदरूनी प्रक्रिया को पूरी कर सीधे तौर पर रकम की भरपाई करता है.
इसके साथ ही बैंक खाते में जमा राशि का बीमा होने की भी व्यवस्था होती है. उन्होंने बताया कि नगर पर्षद के खाते से उक्त फर्जी निकासी के मामले में इंश्योरेंस क्लेम फाइनल स्टेज में है. साथ ही इस फर्जी निकासी के मामले में संलिप्त मुंबई के यूनियन बैंक, यूको बैंक एवं फेडरल बैंक की शाखाओं के विरुद्ध आरबीआई में मुकदमा दर्ज कराया गया था. मामले में तीनों बैंकों पर लापरवाही के आरोप हैं. ऐसी परिस्थिति में एसबीआई को भी उक्त राशि जल्द ही वापस मिल जायेगी.
पटना के तीन लोगों के खातों के जरिये हुई थी निकासी
शेखपुरा नगर पर्षद के सरकारी खाते का क्लोन चेक तैयार कर अपराधियों ने 10.63 लाख की फर्जी निकासी कर ली थी. क्लोन चेक से यह निकासी पटना के तीन लोगों के बैंक खातों के माध्यम से की गयी थी.
उक्त खाताधारियों ने मुंबई स्थित यूनियन बैंक, यूको बैंक एवं फेडरल बैंक के जरिये चेक क्लीयरेंस कराया था. बड़ी बात यह है कि जिस क्लोन चेक के माध्यम से फर्जी निकासी को अंजाम दे दिया गया, उक्त नंबर का मूल चेक नगर पर्षद के कार्यालय में सुरक्षित रखा गया है. इस मामले का खुलासा होते ही नगर पर्षद ने प्राथमिकी दर्ज करायी थी. प्राथमिकी दर्ज कराने के साथ ही नगर पर्षद के उक्त बैंक खाता और चेक को सील कर दिया गया था. इसके बाद इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कराते हुए राशि का भी दावा किया गया था.

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