अरियरी (शेखपुरा).जिले में बाढ़ एक त्रसदी बन कर आयी तब एक छोटी सी खुशखबरी भी लायी. खुशखबरी यह है कि पिछले छह-सात सालों से जिस नदी में बरसात के दिनों में मुट्ठी भर बालू नहीं रहती थी.
आज बाढ़ के कारण नदी का बड़ा हिस्सा बालू की मोटी तह से भरा पड़ा है. जिले में महुली के समीप कौड़िहारी नदी जबकि लोहान गांव के समीप नाटा नदी में बालू घाटों के दो खंडों की बंदोबस्ती खनन विभाग से होती है. पिछले दिनों सन 2006 में सरकार के द्वारा बालू घाटों की बंदोबस्ती पर रोक लगा दी गयी. इसके बाद नदियों में आये बालू के खेप पर स्थानीय माफियाओं की निगाह टिकी है.
हो रही है अवैध निकासी : अरियरी के महुली ओपी से महज कुछ ही दूरी पर कौड़िहारी नदी में जमे बालू के ढ़ेर से अवैध निकासी धड़ल्ले से जारी है. स्थानीय जानकार कहते हैं कि पूरे दिन मजदूर नदी से निकाल कर बाहर में बालू का ढ़ेर लगाते हैं. इसके बाद प्रतिदिन पांच से सात ट्रैक्टर बालू की अवैध निकासी की जाती है. खास बात यह है कि स्थानीय माफिया बालू की अवैध निकासी के इस कारोबार में विभागीय तालमेल बैठाने में भी अपनी बड़ी सक्रियता दिखा रहे हैं.
विभाग को खबर तक नहीं : पिछले तीन साल पूर्व उक्त दोनों खंडों में बालू की आमद पूरी तरह डेड बता कर सरकार को प्रस्ताव भेजने वाले खनन विभाग को इस वर्ष बालू की आमद की खबर तक नहीं है. उक्त दोनों बालू खंडों की बंदोबस्ती पूर्व में लगभग पांच से छह लाख रुपये में करायी गयी थी, परंतु सरकार के फैसले के बाद बंदोबस्ती रद्द करने से विभागीय राजस्व को क्षति हो रही है. इतना ही नहीं बालू घाटों से बालू निकासी के लिए मची आपाधापी किस बड़ी अनहोनी की आशंका बता रहा है. इस परिस्थिति में बालू घाटों पर अधिपत्य के लिए घमसान भी चरम पर है.
कहां से आता है बालू : जिले के नदियों में बालू की आमद नगण्य हो जाने के बाद निर्माण कार्य के लिए दूसरे जिलों से बालू की आपूर्ति की जाती है. जिले के लोगों को निर्माण के लिए क्यूल से आने वाली बालुओं पर निर्भरता बनी है. इसके लिए एक ट्रैक्टर बालू की कीमत लोगों को 1900 से 2200 रुपये तक चुकानी पड़ रही है,लेकिन जब शेखपुरा की नदियों से बालू आयात की व्यवस्था थी तब मात्र 1000 से 1200 रुपये तक ही ट्रेलर बालू उपलब्ध हो जाता था. बालू की कीमतों में इजाफे का कारण महंगाई भी माना जा रहा है.