12 वर्षो से उद्घाटन को तरस रहा मार्केट
बरबीघा (शेखपुरा) : विगत एक दशक पूर्व हॉस्पिटल की पूर्वी बाउंड्री से सटी जमीन पर 18 दुकानोंवाला यह भव्य मार्केट अपने निर्माण काल से ही उद्घाटन की बाट जोहते-जोहते जर्जर स्थिति में पहुंच गया है. पूर्व जिलाधिकारी आनंद किशोर के कार्यकाल में जिला विकास योजना मद से लाखों की राशि के आवंटन से निर्मित यह […]
बरबीघा (शेखपुरा) : विगत एक दशक पूर्व हॉस्पिटल की पूर्वी बाउंड्री से सटी जमीन पर 18 दुकानोंवाला यह भव्य मार्केट अपने निर्माण काल से ही उद्घाटन की बाट जोहते-जोहते जर्जर स्थिति में पहुंच गया है.
पूर्व जिलाधिकारी आनंद किशोर के कार्यकाल में जिला विकास योजना मद से लाखों की राशि के आवंटन से निर्मित यह विशाल मार्केट बेरोजगार युवकों के बीच आवंटित की जानेवाली थी, पर भूमि विवाद के पचड़े में पड़ कर मामला कोर्ट में विचाराधीन है और सरकार द्वारा खर्च की गयी राशि अपनी उपयोगिता और दिन बहुरने के लिए आंसू बहाने को विवश है.
आश्चर्य की बात यह है कि जिला प्रशासन की अगुआई में निर्माण के 10-12 वर्षो में ही अनदेखी तथा निर्माण में प्रयोग में लगायी गयी सामग्री की पोल खोल रही है. उद्घाटन के इंतजार में न्याय की आस लिये यह मार्केट जर्जर अवस्था में कुछ वर्ष पहले ही पहुंच चुका है.
* क्या है विवाद
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार स्थानीय वीरेंद्र सिंह उर्फ बिरन सिंह तथा नागो सिंह के द्वारा मार्केट के निर्माण के बाद भूमि पर अपना मालिकाना हक का दावा करने के कारण मामला कोर्ट के विचाराधीन है. जिससे प्रशासन भी अपने किसी अधिकार का प्रयोग करने में सक्षम नहीं है. जबकि दुकान के आवंटन की आस लिये कितने बेरोजगार युवा प्रतीक्षारत है.
* दुकानों पर अनाधिकृत कब्जा
कई फुटपाथी दुकानदारों ने अवैध ढंग से इसे अपना गोदाम बना लिया है. सूत्रों की मानें तो दुकानों के अधखुले शटर के अंदर कई प्रकार के असामाजिक दुष्कृत्य भी होते है. पुलिस थाने से महज 10-15 मीटर की दूरी पर बंद शटर के भीतर वर्षो से जारी यह खेल पुलिस की अनभिज्ञता के कारण चल रहा है. राजस्व की उगाही, बेरोजगार युवकों के रोजगार तथा नगर विकास के उद्देश्य से खर्च की गयी. लाखों की राशि अभी और न्यायालय के विचाराधीन कितने दिनों तक रहता है. यह लोगों के बीच कुतूहल का विषय बना हुआ है.