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स्वास्थ्य विभाग में खींचतान

* आखिर कब होगा बेहाल मरीजों पर रहमशेखपुरा : जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह पटरी से उतर चुकी है. धरती के भगवान कहे जानेवाले डॉक्टर मरीजों की हितों को भूल अपना हित साधने की लड़ाई लड़ रहे हैं. यह लड़ाई आज और कल की नहीं बल्कि एक वर्षो की है. मगर आज तक इसका […]

* आखिर कब होगा बेहाल मरीजों पर रहम
शेखपुरा : जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह पटरी से उतर चुकी है. धरती के भगवान कहे जानेवाले डॉक्टर मरीजों की हितों को भूल अपना हित साधने की लड़ाई लड़ रहे हैं. यह लड़ाई आज और कल की नहीं बल्कि एक वर्षो की है.

मगर आज तक इसका पटाक्षेप नहीं हो सका है. इस लड़ाई ने जहां सिविल सर्जन की निगरानी जांच के दायरे में ला दिया है. वहीं दूसरी ओर चिकित्सक और स्वास्थ्यकर्मियों पर पहले ही निरोधात्मक कार्रवाई का शिकंजा कसा गया. इसके साथ-साथ चिकित्सकों के वेतन पर भी रोक लगायी जा चुकी है. फिलहाल इस लड़ाई का अंत नहीं दिख रहा है.

* पटरी से उतरी व्यवस्था
सिविल सर्जन और चिकित्सक चिकित्साकर्मियों के बीच छिड़ी हितों की लड़ाई आज जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था को पटरी से उतार चुका है. अस्पताल में एक्सरे-अल्ट्रासाउंड एवं दवाओं की नियमित आपूर्ति नहीं होने से मरीजों का पलायन जारी है. जिसके कारण स्वास्थ्य के क्षेत्र में जिले की रैंकिंग लगातार गिरावट आ गयी है.

* क्यों बिगड़ा तालमेल
एक वक्त था जब जिले में चिकित्सक और स्वास्थ्य कर्मियों का तालमेल पूरे सूबे पर राज करता था. रैंकिंग में पहले पायदान पर रहने वाली जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था पड़ोसी जिले के मरीजों को भी अपनी ओर खींच लाती थी. परंतु अचानक जब जिले में अपना योगदान देकर सिविल सर्जन गोविंद प्रसाद तंबाकूवाला ने औचक निरीक्षण का दौर चलाया.

दावा था कि स्वास्थ्य व्यवस्था में व्यापक सुधार की जरूरतों का, परंतु सीएस के इस अभियान ने चिकित्सक और स्वास्थ्यकर्मियों को बगाबत के चौराहों पर ला खड़ा कर दिया. स्वास्थ्य महकमे में आये इस भूचाल ने अपने साथ कई रहस्यों से भी परदा हटाया. एक तरफ जहां सिविल सर्जन के द्वारा चिकित्सक और स्वास्थ्य कर्मियों से आर्थिक दोहन करने एवं इसके लिए नियमों की पेंच लगाने का आरोप मुखर हुआ तो दूसरी ओर चिकित्सक और स्वास्थ्य कर्मी भी आरोपों से घिरे रहे.

राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना में गर्भाशय कांड, ड्यूटी से गायब रहने एवं अल्ट्रासाउंड का दुरुपयोग समेत अन्य कई मामले सामने आये. मगर दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि सारे मामले बेनतीजा साबित हुए. जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर यह कह पाना तो एक बड़ी चुनौती है ही. साथ ही इसके लिए कोई निर्णय दे पाना आसान नहीं.

अगर कुछ आसान है तो मरीजों पर रहम करने की. एक सख्त आदेश की जरूरत का, ताकि अस्पतालों में नियमित दवाओं की आपूर्ति एवं अल्ट्रासाउंड और एक्सरे की व्यवस्था बहाल हो सके. परंतु जिले के लाखों लोगों को उस वक्त का इंतजार है जब मरीजों पर धरती के भगवान माने जाने वाले चिकित्सकों का रहम हो सके.

* तबादले की सूची तैयार
तबादलों के लिए जानेवाले माह जून की समाप्ति के पूर्व जिले के 40 डॉक्टरों सहित 158 स्वास्थ्य कर्मियों की तबादला सूची तैयार कर ली गयी है. ये कर्मी तीन साल या उससे ज्यादा समय तक एक ही स्थान पर जमे हुए थे. तबादले के विरोध में स्वास्थ्यकर्मियों और सिविल सर्जन के बीच छिड़ा विवाद थाने तक पहुंच गया है.

स्वास्थ्यकर्मी इस पूरे तबादले की प्रक्रिया से कथित विवादित सिविल सर्जन डॉ गोविंद प्रसाद तंबाकूवाला को अलग रखने की मांग कर रहे थे. जून की समाप्ति निकट आते ही सिविल सर्जन ने तबादले की प्रक्रिया को तेज कर दिया है.

सूची तैयार कर ली गयी है. सूची में सबसे ज्यादा 77 एएनएम का नाम है, जो तीन साल से ज्यादा समय से एक ही स्थान पर जमे हुए हैं. उसके बाद 40 डॉक्टरों की सूची है, जिनमें 13 विशेषज्ञ चिकित्सक भी है. विभागीय सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार मई माह में जमुई सांसद भूदेव चौधरी की अध्यक्षता में आयोजित जिला अनुश्रवण समिति की बैठक में ही स्वास्थ्यकर्मियों के तबादले का आदेश दिया गया था और उसी के अनुरूप सिविल सर्जन ने तबादले की सूची तैयार करनी शुरू कर दी.

उधर, जून माह में स्वास्थ्यकर्मियों के तबादले के लिए सरकार का भी निर्देश स्वास्थ्य विभाग को प्राप्त हुआ था. तबादले की इस कार्रवाई ने एक ही स्थान पर जमे स्वास्थ्य कर्मियों के बीच उफान ला दिया है और वे सिविल सर्जन के खिलाफ एकजुट हो गये है. अब स्वास्थ्यकर्मियों के तबादला सूची पर अनुश्रवण समिति के अध्यक्ष तथा सदस्य क्रमश: सांसद, विधायक और जिलाधिकारी के अनुमोदन के बाद इसका क्रियान्वयन शुरू हो जायेगा.

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